भारत में नौकरी करने वाले करीब 65 फीसदी (10 में से 6 से अधिक) लोग छंटनी से निराश हैं. इसके चलते वह अपना शत-प्रतिशत नहीं दे पाते. प्रमुख जॉब पोर्टल इनडीड के सर्वेक्षण के अनुसार बाजार की अनिश्चितताओं और आर्थिक माहौल के कारण नौकरीशुदा लोग छंटनी से निराश हैं और अपनी वर्तमान नौकरी के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध नहीं हो पा रहे हैं. आधे से अधिक कर्मचारी (57 प्रतिशत) भारत में अपनी वर्तमान नौकरी से ऊब चुके हैं. इनमें से 50 प्रतिशत से अधिक नए अवसरों के लिए नए कौशल/अपस्किलिंग की तैयारी कर रहे हैं.
नौकरी की तलाश करने वालों में से लगभग 28 प्रतिशत ने कहा कि वे खुशी और लचीलेपन को प्राथमिकता देंगे और 19 प्रतिशत ने संकेत दिया कि एक अच्छा कार्य जीवन संतुलन उनकी प्राथमिकता है. इनडीड इंडिया के सेल्स हेड शशि कुमार ने कहा, यह स्पष्ट है कि कर्मचारी काम की दुनिया में होने वाले विभिन्न उतार-चढ़ाव के बीच मानसिक स्वास्थ्य और कार्य जीवन संतुलन को प्राथमिकता दे रहे हैं.
उधर, नियोक्ता 2023 के दौरान अपनी भर्ती गतिविधि के बारे में आशावादी हैं. इनमें से 45 प्रतिशत ने काम पर रखने में 20 प्रतिशत तक की वृद्धि की उम्मीद की है.
मुद्रास्फीति (नियोक्ताओं का 18 प्रतिशत) और चल रही छंटनी (नियोक्ताओं का 15 प्रतिशत) क्रमश: 2023 में देखने वाली चीजें हैं.
आने वाले वर्ष में नियोक्ता भी अपने भर्ती प्रथाओं को बढ़ाने के इच्छुक होंगे.
सर्वेक्षण के मुताबिक लगभग 35 प्रतिशत नियोक्ता प्रतिभा अधिग्रहण के लिए एआई/डिजिटल/सोशल मीडिया को अपनाने के लिए तत्पर हैं.
इस साल प्रत्येक तीन नियोक्ताओं में से लगभग दो (सर्वेक्षण में शामिल 64 प्रतिशत) ने अक्टूबर से दिसंबर के बीच काम पर रखा है.
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Source : IANS