Vodafone Idea News: भारी आर्थिक संकट का सामना कर रही दिग्गज टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन आइडिया (Vodafone Idea) ने खुद को फिर से मार्केट में स्थापित करने के लिए कोशिशें शुरू कर दी हैं. वोडाफोन आइडिया ने रीब्रांडिंग का ऐलान किया है. इसके तहत कंपनी अब VI के नाम से जानी जाएगी. बता दें कि वोडाफोन आइडिया का मालिकाना हक आदित्य बिड़ला समूह और ब्रिटेन की वोडाफोन के पास है. रिलायंस जियो के बाजार में उतरने के बाद भारी घाटे का सामना कर रहीं दोनों कंपनियों ने विलय कर लिया था. VI में वी का आशय वोडाफोन और आई का आशय आइडिया से है.
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कंपनी के द्वारा जारी बयान के मुताबिक वीआई ब्रांड के तहत दोनों कंपनियां कारोबार का संचालन करेंगी. कंपनी का कहना है कि कंपनी के पास 4जी टेक्नोलॉजी के अलावा 5जी टेक्नोलॉजी भी है. कंपनी ने रिब्रांडिंग के ऐलान के मौके पर संकेत दिए हैं कि भविष्य में टैरिफ में बढ़ोतरी हो सकती है. वोडाफोन आइडिया के सीईओ सीईओ रविंद्र टक्कर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि आगामी समय में उपभोक्ताओं को बेहतर सर्विस उपलब्ध कराने के लिए टैरिफ में बढ़ोतरी की घोषणा की जा सकती है.
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25,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना को दी थी मंजूरी
समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाये के भुगतान से जूझ रही निजी दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया (वीआईएल) के निदेशक मंडल ने हाल ही में कंपनी की 25,000 करोड़ रुपये का कोष जुटाने की योजना को मंजूरी दी थी. कंपनी निदेशक मंडल की ओर से कोष जुटाने की यह मंजूरी उच्चतम न्यायालय के फैसले के कुछ ही दिन बाद दी गई है. शीर्ष अदालत ने दूरसंचार कंपनियों को समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाये के 10 प्रतिशत का भुगतान इसी वित्त वर्ष में करने का निर्देश दिया है। कंपनियों को एजीआर के शेष बकाये का भुगतान अगले दस साल के दौरान 10 किस्तों में करना होगा, जिसकी शुरुआत अगले वित्त वर्ष से होगी. कंपनी पर करीब 50,000 करोड़ रुपये का एजीआर का बकाया है.
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नकदी संकट से जूझ रही वोडाफोन आइडिया धन जुटाकर कुछ राहत पा सकती है. कंपनी का घाटा लगातार बढ़ रहा है. उसकी प्रति ग्राहक औसत आय (एआरपीयू) घट रही है और ग्राहकों की संख्या भी कमी हुई है. शेयर बाजारों को शुक्रवार को भेजी सूचना में कंपनी ने कहा कि यह राशि इक्विटी और ऋण के रूप में जुटाई जाएगी. कंपनी अधिकतम 25,000 रुपये जुटाएगी. कंपनी ग्लोबल डिपॉजिटरी रिसीट्स (जीडीआर), अमेरिकन डिपॉजिटरी रिसीट्स, विदेशी मुद्रा परिवर्तनीय बांड (एफसीसीबी), डिबेंचर तथा वॉरंट जैसे विकल्पों पर विचार कर रही है. कंपनी यह राशि जुटाने के लिए शेयरधारकों तथा अन्य से आवश्यक मंजूरियां लेगी. सूचना में कहा गया है, ‘‘कुल 15,000 करोड़ रुपये के गारंटी और बिना गारंटी वाले गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) एक या अधिक किस्तों में सार्वजनिक पेशकश या निजी नियोजन के आधार पर जारी किए जा सकते हैं. शेयरधारकों की 30 सितंबर को प्रस्तावित वार्षिक आमसभा में इस प्रस्ताव को रखा जाएगा.