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रियल एस्टेट बाजार में खुशी की लहर, RBI के इस फैसले से घर खरीदारों की बल्ले-बल्ले 

RBI ने रेपो रेट न बढ़ाने का निर्णय लिया है, इससे रियल स्टेट को काफी राहत मिली है, वहीं घर खरीदारों में भी उत्साह है.

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Mohit Saxena
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real estate ( Photo Credit : social media)

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नई सरकार के गठन के दौरान ऐसी खबर सामने आई है जो देश के लाखों घर खरीदारों को राहत देने वाली है. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मॉनिटरी कमेटी की बैठक में यह बड़ा निर्णय लिया गया है. मॉनिटरी कमेटी ने लगातार आठवीं बार रेपो रेट न बढ़ाने का फैसला किया है. इस खबर का घर खरीदारों के साथ ही रियल एस्‍टेट कारोबारियों ने खुले दिल से स्‍वागत किया है. उनका कहना है कि निश्चित तौर पर इस फैसले से सेक्‍टर को मजबूती मिलेने वाली है. सेक्‍टर की मजबूती से रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे. वहीं घर खरीदने के बारे में सोच रहे लोगों को इसका सबसे अधिक फायदा होगा. 

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ईएमआई में बढ़ोतरी नहीं होने वाली

भारतीय रिजर्व बैंक ने लगातार आठवीं बार नीतिगत दर में किसी तरह का बदलाव न करने का फैसला​ लिया है. इसका मतलब है कि होम लोन की ईएमआई में बढ़ोतरी नहीं होने वाली है. रेपो दर में एक बार फिर बदलाव नहीं हुआ है, इसलिए बैंक अपनी कर्ज की दरों में किसी तरह का परिवर्तन नहीं करने वाला है. इस तरह से आपकी ईएमआई फिलहाल वही रहने वाली है. आरबीआई के इस ऐलान के बाद रियल एस्‍टेट डेवलपर्स ने खुशी जताई है. उनका कहना है कि इस फैसले से प्रॉपर्टी बाजार और घर खरीदने वालों को फायदा मिलेगा. रियल एस्टेट सेक्टर के दिग्गजों ने  आरबीआई के इस कदम को बेहतर बताते हुए अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की हैं. 

निश्चित रूप से हस्तक्षेप की जरूरत है: गौड़

क्रेडाई एनसीआर के अध्यक्ष और गौड़ ग्रुप के सीएमडी मनोज गौड़ का कहना है कि अगर रेपो दर में मामूली कमी होती तो रियल एस्टेट सेक्टर का उत्साह और भी बढ़ जाता. हम आरबीआई के ब्याज दर को नहीं बदलने के फैसले का स्वागत करते हैं. उनका कहना है कि एक चिंता का विषय अफोर्डेबल हाउसिंग सेक्टर है, इसमें निश्चित रूप से हस्तक्षेप की जरूरत है. देखा जाए तो कुल मिलाकर, यह एक स्वागत योग्य फैसला है.  रियल एस्टेट बाजार, जो अब तक के सबसे निचले स्तर के बिना बिके स्टॉक के साथ एक अभूतपूर्व उछाल का अनुभव कर रहा है, इस कदम का स्वागत करता है. यह फैसला सेक्टर के उछाल और स्थिरता में सहायक साबित होगा.

क्या होता रेपो रेट 

बैंकों को कभी-कभार बड़ी रकम की जरूरत होती है.  ऐसे परिस्थिति में उनके पास सबसे सरल विकल्प होता है कि वे देश के केंद्रीय बैंक, यानी RBI से छोटी अवधि का ऋण, यानी कर्ज लें. इस तरह के कर्ज पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट (Repo Rate) कहा जाता है.

Source : News Nation Bureau

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