टाटा संस और सायरस मिस्त्री के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। सायरस के मेल के जवाब में टाटा ग्रुप की कई कंपनियों ने सफाई देते हुए कहा है कि वो पाक-साफ़ हैं। इस विवाद में स्टॉक एक्सचेंज भी कूद चुके हैं। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने सायरस के खुलासे के बाद टाटा ग्रुप की कंपनियों को अपना हिसाब-किताब देने को कहा था।
इस मसले पर एक्सचेंज ने टाटा मोटर्स, टाटा स्टील, इंडियन होटेल्स, टाटा टेलीसर्विसेस और टाटा पावर को विस्तृत सूचना मुहैया कराने को कहा है। मिस्त्री ने अपने मेल में कहा था कि इन पांच कंपनियों से मुनाफ़ा नहीं हो रहा था और बतौर चेयरमैन ये परेशानी उन्हें विरासत में मिली थी।
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मिस्त्री ने कहा था कि 2011 में इन कंपनियों में 1 लाख 32 हज़ार करोड़ का निवेश था, जो 2015 तक 1 लाख 96 हज़ार करोड़ हो चुका था। ये रकम टाटा ग्रुप की शुद्ध संपत्ति 1 लाख 74 हज़ार करोड़ के करीब है। मिस्ट्री ने लिखा था कि वास्तविक आंकलन करें तो ग्रुप को 1 लाख 18 हज़ार करोड़ का नुक्सान हो सकता है।
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इससे पहले एक अंग्रेजी दैनिक से बात करते हुए टाटा ग्रुप के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि पीछे के दरवाजे से आकर चेयरमैन पद संभालने का 78 वर्षीय रतन टाटा का कोई इरादा नहीं था। वो सिर्फ़ 3-4 महीनों के लिए पद संभालेंगे। उन्होंने यह भी सवाल किया कि ऐसी कौन सी वजहें जिस कारण बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स ने सायरस में अपना भरोसा खो दिया।
Source : News Nation Bureau