World Economic Forum: दुनियाभर में साइबर अपराध और डेटा चोरी की बढ़ती घटनाओं के बीच एक अध्ययन में दावा किया गया है कि इसकी एक बड़ी वजह पासवर्ड का चोरी हो जाना या कमजोर पासवर्ड होना है. इसके बजाय किसी व्यक्ति का पासवर्ड से मुक्त होना उसे ज्यादा सुरक्षित और कारोबारों को अधिक कुशल बनाता है. विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने अपनी 2020 की सालाना बैठक के दौरान यह रिपोर्ट जारी की है.
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पासवर्ड कमजोर होने से चोरी होता है डेटा
रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर डेटा चोरी की पांच घटनाओं में से चार का कारण पासवर्ड का कमजोर होना या उसका चोरी हो जाना होता है. 2020 में साइबर अपराध (Cyber Crime) से वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रत्येक मिनट 29 लाख डॉलर का नुकसान उठाना पड़ेगा। इसमें करीब 80 प्रतिशत साइबर हमले पासवर्ड से जुड़े होंगे. अध्ययन में पाया गया कि याददाश्त पर आधारित कोई भी प्रमाणन प्रणाली फिर वह चाहे पिन या पासवर्ड कुछ भी हो, यह ना सिर्फ उपयोक्ता के लिए परेशानी भरा है बल्कि इस प्रणाली का रखरखाव भी काफी महंगा है.
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बड़ी कंपनियों के आईटी हेल्प डेस्क की करीब 50 प्रतिशत लागत सिर्फ पासवर्ड के दोबारा आवंटन पर लगती है. ये काम करने वाले कर्मचारियों पर कंपनियों को सालाना औसतन 10 लाख डॉलर खर्च करने पड़ते हैं. मंच की रपट में स्पष्ट किया गया है. पासवर्ड रहित प्रमाणीकरण का मतलब यह बिलकुल भी नहीं है कि हमारी डिजिटल दुनिया की सभी सुरक्षा बाधाओं को हटा दिया जाए. इसका मतलब ऐसी प्रणालियां विकसित करने पर है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम मेधा) या मशीन लर्निंग पर आधारित हों और उपयोक्ताओं के समय और कंपनी के धन की बचत करें.
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साइबर सुरक्षा और डिजिटल भरोसे के भविष्य को आकार देने के लिए विश्व आर्थिक मंच के एक कार्यक्रम के प्रमुख आद्रिएन ओगी ने कहा कि बायोमीट्रिक्स की बढ़ती उपलब्धता और अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों के चलते उपभोक्ता और बेहतर डिजिटल अनुभव और ऑनलाइन सुरक्षा की मांग करने लगे हैं. मंच ने यह रपट एफआईडीओ अलायंस के साथ मिलकर तैयार की है. रपट में पासवर्ड रहित प्रमाणीकरण के लिए पांच प्रमुख प्रौद्योगिकियों को अपनाने के सुझाव दिए हैं. इसमें बायोमीट्रिक, व्यक्ति के व्यवहार का विश्लेषण, क्यूआर कोड, याददाश्त आधारित साक्ष्यों से मुक्ति और सिक्युरिटी प्रमुख हैं.