RBI Retail Direct Scheme: RBI की रिटेल डायरेक्ट स्कीम क्या है और उसके क्या हैं फायदे?

RBI Retail Direct Scheme: सरकार के द्वारा जारी किए गए उधार को सरकारी सिक्योरिटीज कहा जाता है. इसको G-Sec भी कहते हैं. आरबीआई का कहना है कि सरकारी सिक्योरिटीज को सरकार या राज्य सरकारों द्वारा ट्रेड किए जाने वाले इंस्ट्रूमेंट के तौर पर जाना जाता है.

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Dhirendra Kumar
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PM Narendra Modi-RBI Retail Direct Scheme

PM Narendra Modi-RBI Retail Direct Scheme( Photo Credit : NewsNation)

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RBI Retail Direct Scheme: भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) की रिटेल डायरेक्ट स्कीम (What Is RBI Retail Direct Scheme) का ऐलान इस साल फरवरी में आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की थी. उस समय आरबीआई गवर्नर ने इसको एक बड़ा सुधार करार दिया था. बता दें कि ऐसा माना जा रहा है कि रिटेल डायरेक्ट स्कीम से सरकारी सिक्योरिटीज मार्केट तक निवेशकों की पहुंच काफी आसान हो जाएगी. इसके अलावा रिटेल निवेशक के द्वारा अब बिल्कुल फ्री में RBI में सरकारी सिक्योरिटीज अकाउंट (रिटेल डायरेक्ट गिल्ट अकाउंट- RDG) को खोला जा सकता है. 

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रिटेल निवेशक RDG अकाउंट को ऑनलाइन खोल सकते हैं. निवेशकों को फॉर्म को सबमिट करने के लिए रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी पर आए हुए OTP को भरने की जरूरत होगी. रिटेल निवेशकों को RDG अकाउंट के पेमेंट के लिए उनके बैंक अकाउंट से नेट बैंकिंग या UPI की सुविधा के जरिए की जा सकती है. रिफंड होने की स्थिति में तयशुदा सीमा के तहत रिटेल निवेशक के बैंक अकाउंट में राशि जमा हो जाएगी.

सरकारी सिक्योरिटीज क्या है?
सरकार के द्वारा जारी किए गए उधार को सरकारी सिक्योरिटीज कहा जाता है. इसको G-Sec भी कहते हैं. आरबीआई का कहना है कि सरकारी सिक्योरिटीज को सरकार या राज्य सरकारों द्वारा ट्रेड किए जाने वाले इंस्ट्रूमेंट के तौर पर जाना जाता है. बता दें कि फंड को जुटाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के द्वारा इन्हें जारी किया जाता है. सरकारी सिक्योरिटीज ट्रेजरी बिल और डेट सिक्टोरिटी यानी दो तरह के होते हैं. ट्रेजरी बिल को 91 दिन, 182 दिन और 364 दिन के लिए जारी किया जाता है. वहीं डेट सिक्योरिटी को 5 से 40 वर्ष तक के लिए जारी किया जाता है.

कैसे जारी होती है सरकारी सिक्योरिटीज 
आरबीआई के द्वारा आयोजित नीलामी के जरिए इन सरकारी सिक्योरिटी को जारी किया जाता है. रिजर्व बैंक के ई-कुबेर प्लेटफॉर्म पर इस नीलामी का आयोजन किया जाता है. बता दें कि इस प्लेटफॉर्म के बीमा कंपनियां, कमर्शियल बैंक आदि सदस्य हैं. ई कुबेर के सदस्यों के द्वारा भी इस नीलामी में बोली लगाई जा सकती है. फिक्स्ड डिपॉजिट की तरह सरकारी सिक्योरिटीज टैक्स फ्री नहीं है. जानकारों का कहना है कि इसमें जोखिम से इनकार नहीं किया जा सकता है. दरअसल, इसमें मिलने वाला रिटर्न ब्याज दरों में होने वाली उतार-चढ़ाव पर निर्भर है.

HIGHLIGHTS

  • फंड को जुटाने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के द्वारा जारी किया जाता है
  • आरबीआई के द्वारा आयोजित नीलामी के जरिए सरकारी सिक्योरिटी जारी किए जाते हैं
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