31 अगस्त 2020 को आम लोगों के लिए मोरेटोरियम (Moratorium) यानि EMI में राहत की मियाद खत्म हो चुकी है. बैंक अब उन लोगों से जिन्होंने 6 महीने या 3 महीने अपनी EMI नहीं चुकाई थी उनसे वसूली करेंगे. हालांकि RBI ने बैंकों को निर्देश दिए थे कि ब्याज पर ब्याज नहीं वसूला जाए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने रिजर्व बैंक (RBI) की मोरेटोरियम योजना को दिसंबर तक बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई करने का निर्णय किया है. सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले की सुनवाई होगी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने एडवोकेट विशाल तिवारी की याचिका को स्वीकार किया है.
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बता दें कि कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए सरकार के द्वारा लगाए गए लॉकडाउन के बाद RBI ने 3 महीने के लिए मोरेटोरियम की घोषणा की थी. हालांकि आरबीआई ने बाद में इस अवधि को 3 महीने के लिए बढ़ा दिया था. याचिकाकर्ता की कोर्ट में दलील है कि कोरोना महामारी की वजह से उत्पन्न हुए आर्थिक हालात को देखते हुए मोरेटोरियम की सुविधा का ऐलान किया गया था और मौजूदा समय में भी आर्थिक स्थिति खराब ही है. ऐसे में मोरोटोरियम की सुविधा को दिसंबर 2020 तक बढ़ाया जाए.
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31 अगस्त 2020 को समाप्त हो गई मोरेटोरियम की अवधि
गौरतलब है कि RBI द्वारा 6 महीने के लिए बढ़ाई गई लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) की अवधि 31 अगस्त 2020 को समाप्त हो गई है. बता दें कि कई बैंकर्स 31 अगस्त तक कर्ज चुकाने की मोहलत (Moratorium) को बढ़ाने के खिलाफ हैं. दरअसल, बैंकर्स का मानना है कि कर्ज की राशि जमा नहीं होने की वजह से फाइनेंशियल सिस्टम के ऊपर नकारात्मक असर पड़ेगा. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 26 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई में मोरेटोरियम (Moratorium) मामले पर केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार की जमकर खिंचाई की थी. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने मोरेटोरियम अवधि के दौरान टाली गई EMI पर ब्याज नहीं लेने की मांग पर कोई स्टैंड न लेने के चलते सरकार की खिंचाई की थी. कोर्ट ने सरकार से 1 हफ्ते के भीतर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था.
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क्या है लोन मोरेटोरियम
दरअसल, लोन मोरेटोरियम के तहत आम आदमी को कर्ज की किस्त को टालने का विकल्प मिल रहा था. बता दें कि रिजर्व बैंक ने अगस्त की शुरुआत में कहा था कि आरबीआई लेंडर्स को लोन रिस्ट्रक्चरिंग (Loan Restructuring Scheme) की सुविधा देगा.