रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की यस बैंक (Yes Bank) पर पाबंदी की कार्रवाई के बाद ग्राहक बेचैन हो गए हैं. सरकार की ओर से बार-बार ग्राहकों को पैसे सुरक्षित रहने का भरोसा दिलाया जा रहा है. इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने प्रेसवार्ता कर बताया कि आरबीआई साल 2017 से यस बैंक पर निगरानी कर रहा था. 2018 में केंद्रीय बैंक ने यस बैंक में गड़बड़ी की पहचान कर ली थी, जबकि 2019 में यस बैंक पर एक करोड़ का जुर्माना भी लगाया गया था.
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि आरबीआई 2017 से यस बैंक को काफी पहले से मॉनिटर कर रहा था. 2004 से एक ही मैनेजमेंट काम कर रहा था. सितंबर 2018 में कहा गया कि मैनेजमेंट बदलना चाहिए. प्रमोटर्स और टाइम मांग रहे थे, लेकिन आरबीआई ने आगे टाइम नहीं दिया. मार्च 2019 में यस बैंक पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया गया था. यह जुर्माना यस बैंक की कारोबारी गतिविधियों पर लगा था.
#WATCH Live from Delhi: FM Nirmala Sitharaman briefs the media https://t.co/0pZcZAoJOk
— ANI (@ANI) March 6, 2020
वित्त मंत्रालय ने आरबीआई से पूछा, कहां-कहां खामियां हुई हैं
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि यस बैंक ने कई बार कहा कि बैंक अपने टारगेट को पूरा कर रहा है, लेकिन वो कर नहीं पाया. वित्त मंत्रालय ने आरबीआई से पूछा है कि कहां-कहां खामियां हुई हैं. खाताधारकों को परेशानी न हो इसके लिए कदम उठाए जा रहे हैं. आरबीआई ने यस बैंक के पुनर्गठन के लिए काम शुरू कर दिया है. नए बोर्ड का जल्द गठन होगा. सैलरी एक साल तक के लिए पूरी तरह सुरक्षित है. मैं खाताधारकों को भरोसा दिलाती हूं कि उनका पैसा सुरक्षित है. निर्मला ने आगे कहा कि मार्च 2019 में जांच एजेंसियों और सेबी ने बैंक के सीनियर अधिकारियों को संदिग्ध गतिविधियों में संलिप्त पाया था.
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निर्मला सीतारमण का कहना है कि यस बैंक ने अनिल अंबानी, एसेल ग्रुप, डीएचएफएल, वोडाफोन जैसी कंपनियों को लोन दिया, जो डिफॉल्ट हुए हैं. ये सभी मामले 2014 से पहले के यानी यूपीए शासनकाल के हैं. एसबीआई ने हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है. उन्होंने आगे बताया कि नया बोर्ड री-स्ट्रक्चरिंग प्लान के बाद टेकओवर करेगा. बता दें कि आरबीआई ने यस बैंक के डायरेक्टर बोर्ड को भंग कर दिया था. इसके बाद एसबीआई के सीएफओ प्रशांत कुमार को एडमिनिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी सौंप दी गई है.