इस दिवाली ओडीओपी (एक जिला, एक उत्पाद) हिट रहा, तो माटीकला सुपरहिट रही. सरकार (माटीकला बोर्ड) से प्रशिक्षण, उन्नत टूल किट, पग मिल, आधुनिक भट्ठी, इलेक्ट्रिक चॉक, स्प्रे मशीन आदि के रूप में मिले प्रोत्साहन के चलते हुनरमंद हाथों ने मिट्टी को लक्ष्मी, गणेश, डिजानइनर दीयों और अन्य उत्पादों के रूप में जीवंत कर दिया. वोकल फॉर लोकल को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील और एक जिला, एक उत्पाद और माटी कला को प्रोत्साहन देने की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लगातार निदेशरें का खासा असर देखने को मिला.
वर्चुअल ओडीओपी फेयर में 35 देशों ने लिया हिस्सा
देश के किसी भी प्रदेश में पहली बार ओडीओपी उत्पादों के लिए वर्चुअल मेले का आयोजन हुआ. इसमें सभी जिलों के उत्पादों के 572 स्टॉल लगे थे. 35 देशों ने इसमें भाग लिया. 57,000 लोगों ने उत्पादों की खरीद में रुचि दिखाई. भदोही के कालीन के अलावा चिकनकारी, पीतल, रेशम, चमड़े और लकड़ी के नक्काशीदार कामों की सर्वाधिक पूछ रही.
दीपावली में रही मिट्टी के उत्पादों की धूम
प्रदेश में इस बार दीपावाली पर मिट्टी के बने उत्पादों की धूम रही. माटी कला बोर्ड द्वारा पहली बार लखनऊ के खादी भवन (डॉलीबाग) के परिसर में 10 दिवसीय माटी कला मेले का आयोजन किया गया, जिसमें करीब 40 से 50 लाख रुपये के मिट्टी के लक्ष्मी, गणेश, दीये और अन्य उत्पाद बिके. इसके अलावा अन्य स्थानों पर अलग से मिट्टी के उत्पादों की बिक्री की गई. गोरखपुर के मिट्टी के कारोबारियों के अनुसार वहां एक करोड़ रुपये से अधिक के मिट्टी के उत्पादों की बिक्री हुई है. स्वाभाविक है कि अन्य महानगरों, शहरों और कस्बों में भी ऐसा ही हुआ. मुख्यमंत्री द्वारा माटी कला मेले में आए कलाकारों के बेचे सामानों को खरीदने का भी बहुत अच्छा संदेश गया.
साल भर चलता है मिट्टी के उत्पादों का निर्माण
मूर्तिकार कृष्ण कुमार कहते हैं कि माटीकला बोर्ड की पहल ने उत्प्रेरक का काम किया है. इससे बहुत फर्क आया है. यही निरंतरता जारी रही, तो अगली दिवाली में बहुत बड़ा फर्क दिखेगा. शर्त यह है कि कलाकारों को उनकी मांग के अनुसार पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) की डाई समय से मिल जाए. मिट्टी के उत्पादों का निर्माण साल भर चलने वाली प्रकिया है.
फरवरी से अप्रैल के बीच का समय सबसे बेहतर
मूर्तिकार अमरपाल ने बताया कि अगर हम अपने काम को कैलेंडर में बांटें, तो फरवरी से अप्रैल तक का समय उत्पाद बनाने के लिए सर्वाधिक उचित है. अप्रैल से मानसून आने तक का समय तैयार कच्चे उत्पाद को सुखाने का सबसे मुफीद समय होता है. पूरी तरह सूखे उत्पाद भट्ठियों में समान रूप से पकते हैं. नुकसान भी कम होता है. फिर इनकी फिनिशिंग की जाती है. दीवाली के एक माह पहले तक पूरा माल रेडी टू सेल की स्थिति में होना चाहिए. उम्मीद है कि मुख्यमंत्री की प्राथमिकता के कारण माटी कला बोर्ड इस साल ऐसी ही कार्य योजना तैयार करेगा.
मुख्यमंत्री योगी ने माटी कला बोर्ड का किया था गठन
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में पहली बार मिट्टी के उत्पाद बनाने वालों शिल्पकारों और मूर्तिकारों के हित में माटीकला बोर्ड का गठन किया. बोर्ड पास के तालाबों से आसानी से मिट्टी उपलब्ध करवाने से लेकर उत्पादों को दाम और गुणवत्ता में बाजार के प्रतिस्पद्र्धी बनाने में मदद करता है. इसके लिए जाने-माने मूर्तिकारों और निफ्ड से प्रशिक्षण दिलाने, साइज और डिमांड के अनुसार दीये और लक्ष्मी-गणेश की मूर्तिर्यों का मॉडल तैयार कराने और उसके अनुसार बेहतरीन सांचे उपलब्ध करवाने का काम भी करता है. बोर्ड की मेहनत का नतीजा इस बार सबके सामने है. यह दीवाली काफी हद तक देशी वाली रही. आगे यह पूरी तरह देशी होने की संभावना है.
अपर मुख्य सचिव एमएसएमई डॉ. नवनीत सहगल ने बताया कि ओडीओपी उत्पादों के वर्चुअल फेयर और माटी कला मेले से इन उत्पादों की ब्रांडिंग हुई है. इनसे जुड़े हर वर्ग को लाभ हुआ. गुणवत्ता सुधार और ब्रांडिंग पर अभी और काम किया जाएगा.
Source : News Nation Bureau