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न्यू फंड ऑफर (NFO) में निवेश करके कमा सकते हैं मोटा मुनाफा, जानिए इसके बारे में सबकुछ

NFO और IPO में सिर्फ यह अंतर है कि NFO नेट एसेट वैल्यू पर बेचा जाता है, जबकि IPO में शेयर के प्राइस बैंड होते हैं जिस पर शेयर के लिए बोली लगाई जाती है.

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Dhirendra Kumar
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New Fund Offer-NFO

New Fund Offer-NFO( Photo Credit : NewsNation)

New Fund Offer-NFO: न्यू फंड ऑफर (NFO) के बारे में बहुत से लोगों को काफी कम जानकारी होती है. आज की इस रिपोर्ट में हम NFO में कैसे निवेश किया जा सकता है यह जानने की कोशिश करेंगे. बता दें कि म्यूचुअल फंड हाउस (Mutual Fund House) पहली बार जब कोई फंड (Fund) म्यूचुअल फंड बाजार में लॉन्च करता है उसे ही न्यू फंड ऑफर (NFO) कहा जाता है. गौरतलब है कि बाजार से पैसा जुटाने के उद्देश्य से न्यू फंड ऑफर लाया जाता है. इसके अलावा निवेशकों को नए फंड में निवेश के लिए भी पेश किया जाता है. 

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IPO के जैसे ही होता है NFO

न्यू फंड ऑफर (NFO) IPO की तरह मार्केट में लॉन्च किया जाता है. निवेशकों की अर्जी के बाद NFO लॉन्च हो जाता है. NFO और IPO में सिर्फ यह अंतर है कि NFO नेट एसेट वैल्यू पर बेचा जाता है, जबकि IPO में शेयर के प्राइस बैंड होते हैं जिस पर शेयर के लिए बोली लगाई जाती है.  

आपको बता दें कि शुरुआत में निवेशक किसी म्यूचुअल फंड स्कीम की यूनिट 10 रुपये में खरीद सकते हैं. इस यूनिट की कीमत निवेश के शुरुआती कुछ समय तक 10 रुपये रहती है. कीमत में बगैर किसी बदलाव वाले इस अवधि को NFO Period यानी New Fund Offer Period कहा जाता है. बता दें कि म्यूचुअल फंड कंपनी इस अवधि में निवेशक के पैसे को निवेश नहीं करती है. फंड मैनेजर NFO Period खत्म होने के बाद Pooled Money यानी सामूहिक रकम में से निवेश शुरू करता है. अब कुल निवेश की वैल्यू में जो भी बढ़ोतरी या फिर कमी होती है उसके हिसाब से यूनिट की कीमत घटती या बढ़ती है.

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Open Ended Mutual Fund Scheme

निवेशक Open Ended Mutual Fund scheme में कभी भी पैसे को निवेश कर सकता है और उसे निकाल भी सकता है. चूंकि इस तरह की स्कीम में पैसा आता जाता रहता है इसलिए इस स्कीम के पास कोई फिक्स्ड अमाउंट नहीं रहता है. वहीं फंड मैनेजर को परिस्थिति के मुताबिक निवेश के लिए फैसला लेना जरूरी होता है.

Close Ended Mutual Fund Scheme

वहीं दूसरी ओर निवेशक Close Ended Mutual Fund Scheme में सिर्फ NFO के समय ही पैसा लगा सकता है और उसके बाद सिर्फ Maturity के समय ही अपना पैसा निकाल सकता है. हालांकि Close Ended Mutual Fund Scheme की यूनिट को Secondary Market में खरीद और बेच सकते हैं. आपको बता दें कि म्यूचुअल फंड कंपनी का इस तरह के ट्रांजैक्शन से किसी भी तरह का कोई लेना देना नहीं होता है और ना ही म्यूचुअल फंड स्कीम में जमा रकम पर किसी भी तरह का कोई प्रभाव पड़ता है.

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न्यू फंड ऑफर (NFO) में निवेश फायदेमंद

निवेशकों के लिए क्लोज्ड एंडेड फंड्स में NFO के जरिए ही निवेश संभव है. जिन भी निवेशकों (Investors) को फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (FMPs) में निवेश करना है उनके लिए न्यू फंड ऑफर (NFO) एकदम सही फैसला साबित हो सकता है. मतलब यह कि निवेशकों के लिए क्लोज्ड एंडेड फंड्स के NFO निवेश सही साबित हो सकता है.

HIGHLIGHTS

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  • पहली बार जब कोई फंड म्यूचुअल फंड बाजार में लॉन्च करता है उसे ही NFO कहते हैं
  • NFO नेट एसेट वैल्यू पर बेचा जाता है, जबकि IPO में शेयर के प्राइस बैंड होते हैं
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