इनवेस्टमेंट (निवेश) की बात जब आती है तो हम यह सोचते हैं कि यह नौकरीपेशा व्यक्ति का काम है. जबकि ऐसा नहीं है अगर छात्र जीवन (Student) से ही निवेश की आदत बना ली जाए तो लॉन्ग टर्म में काफी बड़ा फंड बनाया जा सकता है. इस पैसे का इस्तेमाल Student अपनी हायर एजुकेशन, घर खरीदने, गाड़ी लेने के लिए भी कर सकते हैं. यहां तक कि शादी में भी यह पैसा सहयोगी बन सकता है. स्टूडेंट्स किन बातों का ख्याल रखकर अच्छे निवेशक बन सकते हैं. आइये उन खास बातों पर नज़र डाल लेते हैं.
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पढ़ाई के दौरान ही मार्केट की स्टडी शुरू करें
पढ़ाई के दौरान माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चों को निवेश के विकल्पों की जानकारी दें. अगर ज़रूरत हो तो वित्तीय सलाहकार की भी मदद ली जा सकती है. जानकारों का कहना है कि बाजार की चाल जल्दी समझना अच्छा होता है. शुरुआती समझ बन जाने के बाद लंबे समय में मोटा मुनाफा होने की संभावना बढ़ जाती है. स्टूडेंट्स को अच्छे नतीजों के लिए धैर्य रखना बेहद ज़रूरी है. साथ ही उन्हें लंबी अवधि के लिए निवेश करना फायदेमंद है. शुरुआत में पॉकेट मनी की छोटी रकम से ही शुरू करने की कोशिश करें. आपकी यह निवेश की आदत आपको भविष्य के लिए एक जिम्मेदार नागरिक के तौर पर स्थापित करेगी. निवेश की जानकारी के लिए परिवार और दोस्तों की मदद भी ली जा सकती है.
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शुरू से निवेश करने पर हैं कई फायदे
कम उम्र में निवेश शुरू करने से आप जल्दी रिटायरमेंट की प्लानिंग कर सकते हैं. शुरुआत में रिटायरमेंट प्लान लेना बिल्कुल सही कदम है. वहीं कम उम्र में प्लान लेने से प्रीमियम भी कम देना पड़ेगा. उम्र बढ़ने के साथ रकम जमा होती रहेगी. भविष्य में आप इस रकम का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस प्लानिंग से आपको जोखिम कम और फायदा ज्यादा होगा.
क्या कहती है रिपोर्ट
HSBC की रिपोर्ट के मुताबिक देश में रिटायरमेंट प्लान लेने वाले लोग काफी कम हैं. वर्तमान की जरूरतों पर ज्यादा खर्च करते हैं. रिपोर्ट का कहना है कि लोगों का ध्यान रिटायरमेंट के बाद की जरूरतों पर कम रहता है. ज्यादातर लोगों का नजरिया कल में नहीं, आज में जीने का होता है. लोगों में निवेश की जानकारी का अभाव है. इसलिए वे निवेश से डरते हैं. बाज़ार और निवेश संबंधी भ्रम होने की वजह से भी निवेश से दूर रहते हैं. आम लोगों में निवेश के लिए बड़ी रकम जरूरी रहने का भ्रम बना रहता है.
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निवेश करने के 4 मंत्र
- ऑपर्चूनिटी कॉस्ट
- पावर ऑफ कंपाउंडिंग (चक्रवृद्धि)
- रिस्क और रिटर्न
- डायवर्सीफिकेशन
क्या है पावर ऑफ कंपाउंडिंग?
- बिना रकम निकाले जारी रख सकते हैं निवेश
- लगातार निवेश देता है मोटा फायदा
- आमदनी बढ़ने के साथ बढ़ा सकते हैं निवेश
- जरूरत के मुताबिक निवेश में सहायक
क्या है रिस्क और रिटर्न?
- अधिक रिस्क से अधिक रिटर्न
- कम उम्र में रिस्क समझना फायदेमंद
- सही तालमेल के साथ निवेश फायदेमंद
- जरूरत के मुताबिक बनाएं पोर्टफोलियो
- महंगाई को भी ध्यान में रखना जरूरी
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डायवर्सीफिकेशन को समझें
- निवेश में डायवर्सीफिकेशन की जरूरी भूमिका
- रिस्क के मद्देनजर निवेश को बांटने में मददगार
- रिक्स को कम करने में सहायक
- डायवर्सीफिकेशन का एक उदाहरण म्यूचुअल फंड (MF)
Source : Dhirendra Kumar