कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees Provident Fund Organisation-EPFO): केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने न्यूनतम मासिक पेंशन (Pension) को दोगुनी करने को लेकर अभी तक कोई भी फैसला नहीं लिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक EPFO की मार्च में होने वाली बैठक में न्यूनतम पेंशन को बढ़ाने को लेकर फैसला हो सकता है. ईपीएफओ के इस फैसले से करीब 39.72 लाख पेंशनर्स को काफी फायदा होने की संभावना है. श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर ईपीएफओ इस फैसले को लेता है तो सरकारी खजाने के ऊपर काफी बोझ बढ़ जाएगा.
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पेंशन में बढ़ोतरी होने पर सरकारी खर्च बढ़ेगा
अगर मार्च में होने वाली बैठक में EPFO पेंशन में बढ़ोतरी को लकर फैसला लेता है तो इसके ऊपर सरकार के खर्च काफी बढ़ जाएगा. गौरतलब है कि मौजूदा समय में EPS के तहत पेंशनर्स को 1,000 रुपये की मासिक पेंशन मिल रही है. बता दें कि पब्लिक प्रॉविडेंट फंड के दायरे में आने वाले कर्मचारियों के मूल वेतन का 12 फीसदी EPF में जमा होता है. इसके अलावा कंपनी भी इतना ही योगदान उस खाते में करती है. हालांकि कंपनी द्वारा किए जाने वाले योगदान में से 8.33 फीसदी EPS में जमा होता है. वहीं सरकार भी मूल वेतन का 1.16 फीसदी इसमें योगदान देती है.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) PF एक्ट 1952 में बदलाव के जरिए उम्र सीमा को भी बढ़ा सकता है. बता दें कि EPFO ने उम्र सीमा में बढ़ोतरी वाले प्रस्ताव को बहुत पहले ही तैयार कर लिया था लेकिन उसे अभी तक लागू नहीं कर पाया है. ऐसे में अब उम्मीद की जा रही है EPFO इसे जल्द ही लागू कर सकता है. मौजूदा नियम के तहत पेंशन धारकों को 58 साल की उम्र तक पेंशन का लाभ मिलता है लेकिन नया नियम आने के बाद उसे 2 साल के लिए और बढ़ाया जाएगा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह व्यवस्था वैकल्पिक हो सकती है.