मौजूदा हेल्थ इंश्योरेंस (Health Insurance) पॉलिसी से हो गए हैं परेशान, तो आप उठा सकते हैं ये कदम

Health Insurance Portability: अगर आप पोर्ट के दौरान हाई रिस्क कैटेगरी में आते हैं तो पुरानी कंपनी की तुलना में नई कंपनी की हेल्थ पॉलिसी के लिए आपको ज्यादा प्रीमियम चुकाना पड़ सकता है.

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Dhirendra Kumar
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Health Insurance

Health Insurance ( Photo Credit : NewsNation)

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Health Insurance Portability: अगर आपके पास किसी कंपनी का हेल्थ इंश्योरेंस है और आप उस कंपनी की सेवाओं से खुश नहीं हैं तो आप पोर्टेबिलिटी का सहारा ले सकते हैं. दरअसल, अगर आपको लगता है कि आप अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए जितना प्रीमियम जमा करते हैं और कंपनी की ओर से उस हिसाब से सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं. साथ ही आप उस कंपनी की सुविधाओं को लेकर पूरी तरह से असंतुष्ट हो चुके हैं तो आपको बिल्कुल भी चिंता करने की जरूरत नहीं है. आपको बता दें कि भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण यानी IRDAI कस्टमर्स को इंश्योरेंस कंपनी और पॉलिसी को पोर्ट करने की अनुमति देता है.

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कम से कम 3 इंश्योरेंस कंपनियों के प्लान को चेक करना जरूरी
अगर आप अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को पोर्ट कराते हैं तो नई कंपनी प्रीमियम की दर को तय करने के लिए स्वतंत्र होती है. वहीं अगर आप पोर्ट के दौरान हाई रिस्क कैटेगरी में आते हैं तो पुरानी कंपनी की तुलना में नई कंपनी की हेल्थ पॉलिसी के लिए आपको ज्यादा प्रीमियम चुकाना पड़ सकता है. ऐसे में पॉलिसी को पोर्ट कराने से पहले इन सब बातों के बारे में जानकारी जरूर हासिल कर लेनी चाहिए. साथ ही कम से कम 3 इंश्योरेंस कंपनियों के प्लान को भी जरूर चेक करना चाहिए. 

जानकारों का कहना है कि अगर कस्टमर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को पोर्ट कराने के लिए मजबूर होता है तो उसके पीछे कई अहम कारण हो सकते हैं. जानकार कहते हैं कि मौजूदा कंपनी के द्वारा सर्विस ठीक से नहीं देना पोर्ट का एक मुख्य कारण हो सकता है. ऐसे में अगर आप अपनी मौजूदा हेल्थ इंश्योरेंस प्लान से खुश नहीं हैं तो आप पोर्ट ऑप्शन का चुनाव कर सकते हैं. प्रीमियम, खराब अनुभव और सर्विस दूसरी कंपनी की ओर झुकाव की मुख्य वजह हो सकता है. इसके अलावा अगर मौजूदा पॉलिसी में कंपनी की ओर से दिया जा रहा कवर आपकी जरूरत को पूरा नहीं कर पा रहा है तो भी आप पोर्ट ऑप्शन चुन सकते हैं. 

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नवीनीकरण से कम से कम 45 दिन पहले प्रक्रिया शुरू करनी होगी पोर्टेबिलिटी की प्रक्रिया
जानकारों का कहना है कि मौजूदा पॉलिसी में अस्पताल के रूम के किराये की सीमा का कम होना और अगर मौजूदा हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी की क्लेम के निपटाने की प्रक्रिया जटिल है तो भी उस पॉलिसी को पोर्ट किया जा सकता है. साथ ही अगर मौजूदा कंपनी डिजिटल फ्रैंडली नहीं है यानी कि वह लंबी और बोझिल प्रक्रियाओं का पालन करती है तो आप अपनी पॉलिसी को पोर्ट कराने का विकल्प चुन सकते हैं. इसके अलावा कंपनी अगर क्लेम की राशि की अदायगी के लिए एक सीमा से ज्यादा समय लेती है तो भी पॉलिसी को पोर्ट कराना ही बेहतर है. साथ ही पारदर्शिता भी पोर्ट कराने के लिए एक अहम कारण है. जानकार कहते हैं कि अगर आप अपनी हेल्थ पॉलिसी को पोर्ट कराना चाहते हैं तो आपको उस पॉलिसी के नवीनीकरण से कम से कम 45 दिन पहले प्रक्रिया शुरू करनी होगी और मौजूदा कंपनी को उसके लिए सूचना देनी होगी. कस्टमर्स को नई हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के बारे में सभी तरह की जानकारी को हासिल करनी चाहिए ताकि भविष्य में उन्हें किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं हो.

HIGHLIGHTS

  • IRDAI कस्टमर्स को इंश्योरेंस कंपनी और पॉलिसी को पोर्ट करने की अनुमति देता है
  • पोर्टेबिलिटी से पहले तीन इंश्योरेंस कंपनियों के प्लान को भी जरूर चेक करना चाहिए
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