Coronavirus (Covid-19): भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (Insurance Regulatory and Development Authority-IRDA) ने सभी स्वास्थ्य बीमा एवं साधारण बीमा कंपनियों (Health Insurance Companies) को सलाह दी है कि वे अपने स्वास्थ्य बीमा उत्पादों (Health Insurance Products) के प्रस्ताव में ग्राहकों को उनका स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम वार्षिक के बदले मासिक रूप से अदा करने का विकल्प उपलब्ध कराएं. यह केवल उन स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर लागू होगा जिनका नवीकरण 31 मार्च, 2021 तक देय होता है.
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कोरोना वायरस प्रकोप को देखते हुए इरडा ने दिए निर्देश
इरडा ने जारी नए दिशानिर्देश में कहा कि हालांकि, बीमा कंपनियों को यह निर्णय करना का अधिकार रहेगा कि वे मासिक भुगतान का विकल्प हमेशा के लिए देंगे या इसे एक वर्ष की अवधि तक ही सीमित रखेंगे. ये दिशानिर्देश कोरोनावायरस के जारी प्रकोप को ध्यान में रखकर जारी किये गए हैं ताकि ग्राहकों को वार्षिक के बदले मासिक रूप से भुगतान करने की सुविधा मिल सके. पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के बिजनेस हेड अमित छाबड़ा ने कहा कि इरडा के इस कदम से भारत में स्वास्थ्य बीमा का अनुपात बढ़ने की आशा है. चूंकि बीमा कंपनियों के पास उनके बीमा उत्पादों को पुन: दायर करने के लिए 1 अक्टूबर तक का समय है, इसलिए ये दिशानिर्देश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे। किन्तु ग्राहकों को यह अवश्य जानना चाहिए कि मासिक भुगतान के इस विकल्प का उपलब्ध होना बीमा कंपनी की आईटी तत्परता पर निर्भर है.
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12 किस्त में दी जा सकेगी प्रीमियम की राशि
उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर विनियामक ने एकल स्वास्थ्य बीमा कंपनियों और स्वास्थ्य बीमा करने वाली साधारण बीमा कंपनियों को ग्राहकों से बीमा पॉलिसियों का प्रीमियम किस्तों में लेना आरम्भ करने की अनुमति दे दी है. प्रीमियम के किस्तों की सुविधा या तो स्थायी रूप से या कम से कम 12 महीनों के लिए दी जा सकती है जो 31 मार्च, 2021 तक नवीकरण के लिए नियत सभी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर लागू होगी और यह फैसला बीमा कंपनियों पर निर्भर करता है.
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वर्ष 2019 में विनियामक ने बीमा कंपनियों को एक मामूली उत्पाद फाइलिंग परिवर्तन के बाद किस्तों में प्रीमियम भुगतान की पेशकश की इजाजत दी थी. विनियामक द्वारा जारी ताजा परिपत्र में अब बीमा कंपनियों को तुरंत मासिक भुगतान विधि आरम्भ करने की अनुमति दी गयी है. किन्तु, ग्राहकों यह ध्यान रखना चाहिए कि मौजूदा उत्पादों में इस प्रकार के विकल्प को शामिल करना बीमा कंपनियों की आईटी तत्परता पर निर्भर करता है.