अमेरिकी हमले में ईरानी मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत से खाड़ी देशों में तनाव एक बार फिर कायम हो गया है. अगर ईरान जवाबी कार्रवाई करता है तो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर इसका घातक प्रभाव पड़ेगा. ऐसा होने पर भारत की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकेगी. खाड़ी में तनाव का सीधा असर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ेगा, जिससे जाहिर तौर पर भारत का आयात का खर्च बढ़ेगा. इससे भारत का चालू खाते का घाटा बढ़ेगा. कच्चे तेल की कीमतें बढ़ेंगी तो माल ढुलाई की लागत भी बढ़ेगी और उससे रोजमर्रा की चीजों के दाम भी बढ़ सकते हैं.
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विश्व बाजार में तनाव से रुपया के भाव में गिरावट आएगी, जिससे खाद्य तेल और अन्य सामानों के आयात महंगे होंगे. विदेश जाना महंगा हो जाएगा. इससे लोगों को फिर महंगाई डायन का सामना करना पड़ेगा. महंगाई बढ़ेगी तो आरबीआई ब्याज दरों में कटौती नहीं करेगी और कर्ज सस्ता भी नहीं होगा.
ऊर्जा विशेषज्ञ नरेंद्र तनेजा ने बताया कि भारत अपनी जरूरत का 75 प्रतिशत कच्चा तेल सऊदी देशों से आयात करता है. यह भारत जैसे देश के लिए बड़ी चिंता की बात है. अगर, ईरान जवाबी कार्रवाई करता है तो कच्चे तेल में भारी उछाल आने की पूरी संभावना है.
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कच्चा तेल 80 डॉलर के पार जाता है तो पेट्रोल-डीजल में बड़ा उछाल आ सकता है. पेट्रोल में करीब पांच से छह रुपये की तेजी आ सकती है. डीजल और एलपीजी खरीदना महंगा हो जाएगा.
कीमत में उछाल आने से मांग प्रभावित होगी. बाजार में मांग कम होने से इसका कारोबार प्रभावित होगा. इससे इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को रोजगार संकट का सामना करना पड़ सकता है.
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गिरावट आने से देश के साथ विदेशी निवेशकों को बड़ा नुकसान उठाना होगा. शेयर बाजार अर्थव्यवस्था में तेजी का संकेत देता है. अगर बाजार में गिरावट आएगी तो निवेशकों को भरोसा टूटेगा. विदेशी से आयतित होने वाली तमाम वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी. विदेश में घूमना और पढ़ना महंगा हो जाएगा. खाद्य तेल, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक सामान के लिए अधिक कीमत चुकानी होगी.
केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने बताया कि वैश्विक तनाव बढ़ने पर निवेशक सुरक्षित निवेश के लिए सोने-चांदी का रुख करते हैं. आने वाले दिनों में सोने का भाव प्रति तोला 44 हजार रुपये और चांदी 58 हजार रुपये प्रति किलो पहुंच सकता है.
Source : News Nation Bureau