Income Tax Return-ITR: वित्त वर्ष 2020-21 (ITR FY 2020-21) यानी एसेसमेंट ईयर 2021-22 के लिए आयकर रिटर्न को फाइल करने की आखिरी तारीख 31 दिसंबर 2021 है. जानकारों का कहना है कि जो लोग हर साल आईटीआर फाइल करते रहते हैं उन्हें इसको लेकर कोई खास परेशानी नहीं होती है लेकिन पहली बार रिटर्न फाइल करने जा रहे नए लोगों को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में दिक्कत हो सकती है. नए लोगों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह होती है कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं होती है कि रिटर्न फाइल करते समय किन-किन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत होती है. ऐसे में अगर आपके पास जरूरी डॉक्यूमेंट नहीं है तो रिटर्न फाइल करने की प्रक्रिया अटक सकती है. आइए जानने की कोशिश करते हैं कि रिटर्न फाइल के लिए किन डॉक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ती है.
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टैक्स एक्सपर्ट अजय अग्रवाल के मुताबिक सेक्शन 234F के अंतर्गत रिटर्न फाइल करने में देरी पर जुर्माने का प्रावधान है और इसके तहत 10 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाता है. उनका कहना है कि 31 दिसंबर से पहले आईटीआर फाइल करने पर जुर्माना नहीं देना होगा. सेक्शन 80C और सेक्शन 80D के टैक्स बेनिफिट लेने के लिए निवेश की रसीदों को भी रखना चाहिए. आटीआर फाइल करते समय शेयर से हुई आय या हानि की भी जानकारी देनी जरूरी है और शेयर में किए गए निवेश से मिले डिविडेंड की जानकारी भी देना जरूरी है.
Form 16/Form 16A
नौकरीपेशा लोगों के लिए फॉर्म 16 एक अहम डॉक्यूमेंट होता है और वे इसके जरिए ही रिटर्न फाइल करते हैं. कंपनी की ओर से कर्मचारी को फॉर्म 16 जारी किया जाता है. फॉर्म 16 में सैलरी से काटे गए गए टैक्स की जानकारी दी गई होती है. वहीं फॉर्म 16 A में सैलरी के अतिरिक्त अन्य आय पर काटे गए TDS की जानकारी दी गई होती है. फॉर्म 16 में नियोक्ता का TAN और पैन नंबर भी दिया गया होता है. फॉर्म 16 में दी गई जानकारी फॉर्म 26एएस में भी हो सकती है ऐसे में फॉर्म 16/फॉर्म 16ए को फॉर्म 26AS में दी गई जानकारी से मिलान कर लेना चाहिए.
Form 26AS
आयकर विभाग की ओर से फॉर्म 26AS को जारी किया जाता है. इस फॉर्म में व्यक्ति की इनकम पर लगाए गए टैक्स की जानकारी दी गई होती है. आयकर विभाग की वेबसाइट पर पैन नंबर डालकर इसको निकाला जा सकता है. टैक्स एक्सपर्ट अजय अग्रवाल का कहना है कि टैक्सपेयर्स इंफार्मेशन समरी (TIS) और एन्युएल इंफॉर्मेशन समरी (AIS) में फॉर्म 26AS की तुलना में काफी जानकारी होती है. उनका कहना है कि टैक्सपेयर्स को इन दोनों को रिटर्न फाइल करने से पहले जरूर चेक करना चाहिए.
Form 15G/15H
फॉर्म 15जी या फॉर्म 15एच एक सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म है. कोई व्यक्ति इसके जरिए यह बताता है कि उसकी आय टैक्सेबल लिमिट यानी कर लगने योग्य सीमा से कम है और ऐसे में उसको टैक्स के दायरे से बाहर रखा जाए. फॉर्म 15जी या 15एच जमा कर आप ब्याज या किराये जैसी आमदनी पर टीडीएस देने से बचा जा सकता है. बता दें कि 15जी और 15एच की वैलिडिटी सिर्फ एक साल की होती है और इसे हर साल जमा किया जाता है. फॉर्म 15जी का इस्तेमाल 60 साल से कम उम्र के भारतीय नागरिक, हिंदू अविभाजित परिवार यानी एचयूएफ या ट्रस्ट के द्वारा किया जाता है. वहीं 60 साल से ज्यादा की उम्र के भारतीय नागरिक फॉर्म 15एच जमा करते हैं. दोनों फॉर्म को ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों तरीकों से भरा जा सकता है.
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Section 80G
सेक्शन 80G के तहत दान करने से 100 फीसदी रकम तक टैक्स छूट हासिल किया जा सकता है. हालांकि इसके लिए रसीद का होना जरूरी है.
ब्याज से हुई इनकम का सर्टिफिकेट
किसी बैंक या पोस्ट ऑफिस में FD है या फिर किसी ब्याज मिलने वाली स्कीम में पैसे निवेश किए गए हैं तो ब्याज से हुई आय का सर्टिफिकेट या फिर बैंक स्टेटमेंट रखना जरूरी है. गौरतलब है कि आयकर कानून की धारा 80 टीटीए के तहत 10 हजार रुपये तक की ब्याज से हुई कमाई पर टैक्स छूट पाया जा सकता है. अजय अग्रवाल का कहना है कि आईटीआर फाइल करते समय बैंक का ब्याज सर्टिफिकेट और होम लोन का ब्याज सर्टिफिकेट जरूर रखना चाहिए.
HIGHLIGHTS
- नौकरीपेशा लोगों के लिए अहम डॉक्यूमेंट है फॉर्म 16
- फॉर्म 15जी या फॉर्म 15एच एक सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म है