सरकार ने ब्याज पर ब्याज माफी को लेकर दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं. वहीं वित्त मंत्रालय ने यह भी कहा है कि अगर किसी कर्जदार ने लोन मोरेटोरियम (Loan moratorium) की अवधि में EMI को लगातार चुकाया है तो ऐसे कर्जदारों को अनुग्रह राशि (Ex Gratia) या कैशबैक दिया जाएगा. 2 करोड़ रुपये तक का कर्ज लेने वाले छोटे उद्यमी या व्यक्तियों को इसका फायदा मिलेगा. बता दें कि सरकार ने 2 करोड़ रुपये तक के कर्ज पर छूट देने का ऐलान किया था. बता दें कि वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance) ने कोविड-19 संकट के कारण भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से कर्ज चुकाने को लेकर दी गयी मोहलत से जुड़े ब्याज से छूट देने को लेकर दिशानिर्देश को मंजूरी दे दी है.
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इसके तहत 2 करोड़ रुपये तक के कर्ज पर छह महीने के लिये दी गयी मोहलत के दौरान संचयी ब्याज यानी ब्याज पर ब्याज और साधारण ब्याज के बीच अंतर के बराबर राशि का भुगतान सरकार करेगी. उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने केंद्र को आरबीआई की तरफ से कर्ज लौटाने को लेकर दी गयी मोहलत के तहत 2 करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ब्याज छूट योजना को जल्द- से -जल्द लागू करने का निर्देश दिया था. उसके बाद यह दिशानिर्देश आया है.
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एक मार्च, 2020 से 31 अगस्त, 2020 की अवधि के लिए उठा सकते हैं लाभ
वित्तीय सेवा विभाग द्वारा जारी दिशानिर्देश के अनुसार कर्जदार संबंधित ऋण खाते पर योजना का लाभ ले सकते हैं. यह लाभ एक मार्च, 2020 से 31 अगस्त, 2020 की अवधि के लिये है. इसके अनुसार जिन कर्जदारों के ऊपर 29 फरवरी तक कुल ऋण 2 करोड़ रुपये से अधिक नहीं है, वे योजना का लाभ उठाने के लिये पात्र होंगे. इस योजना के तहत आवास ऋण, शिक्षा ऋण, क्रेडिट कार्ड बकाया, वाहन कर्ज, एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम), टिकाऊ उपभोक्ता सामन के लिये लिया गया कर्ज और खपत के लिये लिया ऋण आएगा.
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दिशानिर्देश के अनुसार बैंक और वित्तीय संस्थान पात्र कर्जदारों के ऋण खाते में मोहलत अवधि के दौरान ब्याज के ऊपर ब्याज और साधारण ब्याज के बीच अंतर की राशि डालेंगे. यह उन सभी पात्र कर्जदाताओं के लिये है, जिन्होंने आरबीआई द्वारा 27 मार्च, 2020 को घोषित योजना के तहत पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से कर्ज लैटाने को लेकर दी गयी छूट का लाभ उठाया. वित्तीय संस्थान संबंधित कर्जदार के खाते में रकम डालकर उसके भुगतान के लिये केंद्र सरकार से दावा करेंगे. सूत्रों के अनुसार सरकारी खजाने पर इस योजना के क्रियान्वयन में 6,500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा.