नौकरी छोड़ने या रिटायरमेंट के बाद अक्सर लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि उनके एंप्लाई प्रॉविडेंट फंड (Employee Provident Fund-EPF) अकाउंट पर मिल रहे ब्याज के ऊपर टैक्स का भुगतान करना पड़ता है. इनकम टैक्स एपेलेट ट्रिब्यूनल ने अपने एक ऑर्डर में इस बात को पूरी तरह से साफ किया हुआ है. ट्रिब्यूनल का कहना है कि कर्मचारियों को नौकरी छोड़ने या फिर रिटायर होने के बाद पीएफ अकाउंट के ऊपर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स की देनदारी बनती है. हालांकि मौजूदा कर्मचारियों को PF पर मिलने वाले ब्याज पर कोई भी टैक्स नहीं देना होता है.
यह भी पढ़ें: गिरावट के साथ बंद हुआ शेयर बाजार, सेंसेक्स 171 प्वाइंट लुढ़का, निफ्टी 11,300 के नीचे
मर्जी से नौकरी छोड़ने पर भी पीएफ पर मिल रहे ब्याज पर देना होगा टैक्स
इनकम टैक्स एपेलेट ट्रिब्यूनल की बेंगलुरु पीठ ने एक मामले की सुनवाई करते हुए साफ किया था कि जब कोई कर्मचारी नौकरी छोड़ देता है तो उसके प्रॉविडेंट फंड अकाउंट पर मिलने वाले ब्याज के ऊपर टैक्स की देनदारी बनती है. ट्रिब्यूनल ने ये भी साफ किया था कि कर्मचारी ने चाहे अपनी मर्जी से नौकरी छोड़ दी हो या कंपनी ने कर्मचारी को निकाल दिया हो या फिर कर्मचारी रिटायर हो गया हो. ऐसी तीनों ही स्थिति में कर्मचारी को PF के ऊपर मिलने वाले ब्याज के ऊपर टैक्स देना होगा. इसे अन्य स्रोतों से आय के तौर पर माना जाएगा.
यह भी पढ़ें: अगले कुछ दिनों में एक से दो रुपये सस्ता हो सकता है पेट्रोल-डीजल
बता दें कि काफी लोग नौकरी के छोड़ने या फिर रिटायरमेंट के बाद भी EPF अकाउंट को चालू रखते हैं. EPFO की ओर से उनके अकाउंट के ऊपर सालाना ब्याज का फायदा मिलता रहता है. हालांकि बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि नौकरी छोड़ने या रिटायर होने के एक समयसीमा के बाद मिलने वाले ब्याज पर टैक्स जमा करना पड़ता है. बता दें कि 55 वर्ष की आयु तक अगर कोई व्यक्ति अपना पीएफ का पैसा नहीं निकालता है तो उसका अकाउंट सिर्फ और 3 साल के लिए एक्टिव रहता है और इस पर ब्याज भी मिलता रहता है. हालांकि रिटायरमेंट की तारीख से तीन साल के बाद PF अकाउंट के ऊपर ब्याज नहीं मिलता है और उस अकाउंट को निष्क्रिय खातों की श्रेणी में डाल दिया जाता है.