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म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करने से पहले इन बातों का ध्यान रखना है बेहद जरूरी

जानकारों का कहना है कि शेयर मार्केट के खराब होने की स्थिति में Mutual Fund में निगेटिव रिटर्न आने की स्थिति में निवेशकों को आगाह नहीं किया जाता है. ऐसे में निवेश के अन्य उपायों की ही तरह म्यूचुअल फंड में भी निवेश से पहले काफी सतर्कता बरतनी जरूरी है.

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Dhirendra Kumar
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Mutual Fund

म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) ( Photo Credit : फाइल फोटो)

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म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश के जरिए लॉन्ग टर्म में अच्छा पैसा बनाया जा सकता है. मार्केट के जानकार म्यूचुअल फंड में एसआईपी (SIP) के जरिए निवेश की सलाह देते हैं. उनका कहना है कि एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करके लंबी अवधि में अच्छा खासा फंड इकट्ठा किया जा सकता है. सामान्तया देखने में आया है कि म्यूचुअल फंड के बारे में ज्यादातर समय सकारात्मक पक्ष की ही बात की जाती है. वहीं दूसरी ओर आर्थिक मंदी के हालात या फिर मौजूदा कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Epidemic) जैसे समय में शेयर बाजार में भारी गिरावट आने से म्यूचुअल फंड के रिटर्न भी निगेटिव हो जाते हैं.

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जानकारों का कहना है कि शेयर मार्केट के खराब होने की स्थिति में निगेटिव रिटर्न आने की स्थिति में निवेशकों को आगाह नहीं किया जाता है. ऐसे में निवेश के अन्य उपायों की ही तरह म्यूचुअल फंड में भी निवेश से पहले काफी सतर्कता बरतनी जरूरी है. अगर आपने कुछ खास बातों पर ध्यान नहीं दिया तो निवेशकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. म्यूचुअल फंड में निवेश को लेकर कई ऐसा बातें हैं जिसका सभी निवेशकों को जानना बेहद जरूरी है.

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निवेशकों को राय देने का विकल्प नहीं
निवेशकों को म्यूचुअल फंड में निवेश के बाद उस फंड पर राय देने या फंड्स में कुछ भी बदलाव करने का विकल्प नहीं मिलता है, जबकि इसके विपरीत शेयर में निवेशक अपनी इच्छा के अनुसार निवेश का फैसला ले सकता है. म्यूचुअल फंड में फंड मैनेजर द्वारा निवेश का फैसला लिया जाता है. म्यूचुअल फंड स्कीम में हजारों निवेशकों के पैसा एक साथ निवेश किया जाता है. म्यूचुअल फंड में निवेश के बाद उसकी पूरी जिम्मेदारी फंड मैनेजर की होती है.

विकल्प का चुनाव करना काफी मुश्किल
मार्केट में म्यूचुअल फंड हाउस की ओर से काफी स्कीम उपलब्ध हैं. निवेशकों को इनके बीच सही स्कीम का चुनाव करने के लिए काफी दुविधा रहती है. अलग-अलग कैटेगरी में एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के ढेर सारे फंड्स की मौजूदगी से निवेशक के लिए फैसला लेना काफी मुश्किल हो जाता है.

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लागत कम करने के लिए निवेशक के पास विकल्प नहीं
फंड हाउस द्वारा म्यूचुअल फंड के स्कीम में काफी निवेशकों का पैसा एक साथ निवेश किया जाता है. इस स्थिति में निवेशक के पास लागत को कम करने का कोई भी विकल्प नहीं होता है. बता दें कि सेबी (SEBI) ने एक्सपेंस रेश्यो को लेकर कई नियम बना रखे हैं, लेकिन निवेशकों को इसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. म्यूचुअल फंड्स में निवेश को लेकर कितना जोखिम है इसकी जानकारी निवेशकों को नहीं मिल पाती है. निवेशकों को अपने मेहनत की कमाई को फंड हाउस और फंड मैनेजर के भरोसे ही छोड़ना पड़ता है.

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