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Mutual Fund : 500 रुपये से शुरू करें निवेश, बचा सकते हैं Income Tax भी

म्‍युचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करके इनकम टैक्‍स भी बचाया जा सकता है. ऐसे फंड को टैक्‍स सेविंग म्यूचुअल फंड (Tax Saving Mutual Fund) कहते हैं.

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vinay mishra
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Mutual Fund : 500 रुपये से शुरू करें निवेश, बचा सकते हैं Income Tax भी

Mutual Fund (फाइल फोटो)

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Mutual Fund : म्‍युचुअल फंड (Mutual Fund) हर तरह के इन्‍वेस्‍टमेंट का मौका देता है. यहां पर लोग इक्‍विटी मार्केट से लेकर डेट मार्केट से जुड़े निवेश करने के अलावा इनकम टैक्‍स बचाने के लिए भी निवेश कर सकते हैं. इस प्रकार म्‍युचुअल फंड (Mutual Fund) एक स्‍मार्ट निवेश का जरिया बन कर सामने आया है. यहां पर एक फायदा और है कि अगर ज्‍यादा पैसा नहीं है तो भी निवेश किया जा सकता है. म्‍युचुअल फंड (Mutual Fund) में काई भी 500 रुपए महीने से भी निवेश की शुरुआत कर सकता है.

इन सवालों का यहां मिलेगा जवाब
1 क्‍या है म्‍युचुअल फंड (What is mutual fund)
2 क्‍या इनकम टैक्‍स बचा सकते हैं म्‍युचुअल फंड (Can Mutual Funds Save Income Tax )
3 म्‍युचुअल फंड में क्‍या है न्‍यूनतम निवेश राशि (What is the minimum investment amount in a mutual fund)

म्‍युचुअल फंड (Mutual Fund) क्‍यों है स्‍मार्ट इन्‍वेस्‍टमेंट
म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) का नाम मन में आते ही लोग रि‍स्‍क के बारे में सोचने लगते हैं. लेकिन इस बात को समझने की जरूरत है कि यहां पर निवेश शेयर बाजार की तरह रिस्‍की नहीं हे. अगर आप अपना पूरा पैसा कि‍सी एक कंपनी में निवेश कर दें और कि‍सी वजह से वह कंपनी डूब जाए तो आपका सारा पैसा भी डूब जाएगा. लेकिन अगर आपने म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के माध्‍यम से पैसा लगाया है तो आपके साथ ऐसा नहीं होगा. म्‍युचुअल फंड (Mutual Fund) में आपके पैसे को अलग-अलग कंपनि‍यों में लगाया जाता है. इसमें आपका पैसा अलग-अलग श्‍ोयर और बॉन्‍ड्स में इन्‍वेस्‍ट कि‍या जाता है. इसका फायदा यह है कि‍ अगर कि‍सी एक कंपनी में लगा पैसा दिक्‍कत में भी आ जाए तो बाकी जगह पर लगा हुआ पैसा उसे कवर कर ले और आपको नुकसान न हो.

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रिस्‍क लेने की क्षमता के चुने म्‍युचुअल फंड (Mutual Fund)
म्‍युचुअल फंड (Mutual Fund) रिस्‍क लेने की क्षमता के अनुसार निवेश का विकल्‍प देते हैं. म्‍युचुअल फंड (Mutual Fund) को तीन कैटेगि‍री में बांट कर देखा जा सकता है जिसमें हाई रि‍स्‍क, मीडि‍यम रि‍स्‍क और लो रि‍स्‍क की कैटेगरी आती है. ऐसे में अगर आप म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) लेते समय हाई रि‍स्‍क का ऑप्‍शन चूज करेंगे तो आपको रि‍स्‍क बहुत ज्‍यादा होगा. लेकि‍न इसमें फायदा यह है कि‍ आपको अगर फायदा हुआ तो रि‍टर्न भी बहुत अच्‍छा मि‍लेगा. वहीं अगर आप मीडि‍यम रि‍स्‍क का ऑप्‍शन चूज करेंगे तो आपको मीडि‍यम लेवल का जोखि‍म उठाना पड़ेगा वहीं, आपको रि‍टर्न पर फायदा भी मीडि‍यम लेवल का ही मि‍लेगा. इसके अलावा लो लेवल रि‍स्‍क जोन में भी अगर आप मि‍नि‍मम रि‍स्‍क का ऑप्‍शन चुनते हैं तो आपको रि‍टर्न भी न्‍यूनतम ही मि‍लेगा. इस प्रकार म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में आप अपना रि‍स्‍क खुद सेलेक्‍ट कर सकते हैं.

इनकम टैक्‍स बचाने के लिए भी कर सकते हैं निवेश

म्‍युचुअल फंड (Mutual Fund) में आप इनकम टैक्‍स बचाने के लिए भी निवेश कर सकते हैं. जब आप म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश करते हैं तो आपके पास दो विकल्प होते हैं. इसमें एक ऑप्‍शन है कि‍ रेगुलर फंड में निवेश करें और दूसरा यह है कि‍ आप टैक्‍स सेवर फंड में नि‍वेश करें.

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दोनों तरीकों में अंतर
म्‍युचुअल फंड (Mutual Fund) के इन दोनों तरीकों में कुछ अंतर है. जहां रेगुलर फंड में नि‍वेश शुरू करने के कुछ महीने बाद ही आप जरूरत पड़ने पर अपना पैसा निकाल सकते हैं, वहीं टैक्‍स सेवि‍ंग म्‍युचुअल फंड (ELSS) में 3 साल तक यह पैसा लॉकइन पीरि‍यड में होता है. इस लॉकइन पीरि‍यड के दौरान आप अपना पैसा निकाल नहीं सकते हैं. हालांकि देश में जितने भी इनकम टैक्‍स बचाने वाले तरीके हैं उनमें सबसे कम लाइकन पीरियड टैक्‍स सेविंग म्‍युचुअल फंड (Mutual Fund) का ही सबसे कम है.

टैक्‍स सेविंग फंड (Tax Saving Mutual Fund)
टैक्‍स सेविंग म्यूचुअल फंड (Tax Saving Mutual Fund) इनकम टैक्‍स अधिनियम की धारा 80 सी के तहत निवेश पर आयकर में छूट का फायदा भी देता है. इसका मतलब है कि ऐसे म्यूचुअल फंड (Tax Saving Mutual Fund) में निवेश पर आप आयकर की छूट ले सकते हैं.

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SIP या एकमुश्‍त कर सकते हैं निवेश
म्‍युचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश में दो विकल्‍प मिलते हैं. एक में पैसा एक साथ लगा सकते हैं, जबकि दूसरे में हर माह निवेश का विकल्‍प का मिलता है. इसे सिस्‍टेमैटिक इन्‍वेस्‍टमेंट प्‍लान (SIP) कहते हैं. अगर आपके पास एक साथ बड़ी रकम नहीं है तो आप सि‍स्‍टमैटि‍क इनवेस्‍टमेंट प्‍लान (SIP) के माध्‍यम से निवेश शुरू कर सकते हैं. म्‍युचुअल फंड की कई स्‍कीम 500 रुपए से निवेश की शुरुआत की अनुमति देती हैं.

म्‍युचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश पर कैसे मिलती है सुरक्षा
म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) के नि‍यमन (रेगुलेशन) का काम भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) करती है. ऐसे में सेबी (SEBI) की ओर से बनाई गई गाइड लाइन का म्यूचुअल फंड कंपनियां को पालन करना होता है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि निवेशकों को अनुचित और गलत तरीके से मि‍स गाइड नहीं कि‍या जाए. ऐसे में यह गाइड लाइन निवेशक और म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) प्रदाता दोनों के पक्ष में काम करती हैं. म्‍युचुअल फंड (Mutual Fund) के बारे में और जानकारी के लिए एसोसिएशन ऑफ म्‍युचुअल फंड इन इंडिया (amfi) की बेवसाइट पर जाकर ली जा सकती है.

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म्‍युचुअल फंड से जुड़े शब्‍द

एनएवी (NAV) (Net Asset Value) : जब भी म्यूचुअल फंड (Mutual fund) की बात होती है तब एक टर्म जो बार-बार प्रयोग में आती है, वह है- NAV. एक म्यूचुअल फंड (Mutual fund) कई जगह पैसे निवेश करता है इसलिए अगर किसी समय फंड से पैसा वापस लेना है तो यह उसकी NAV पर निर्भर करता है. अगर बेचना न भी हो तो फंड में पैसे के बारे में जानने के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है. किसी म्यूचुअल फंड (Mutual fund) की NAV वो कीमत है जिससे उस फंड की एक यूनिट खरीदी या बेची जा सकती है.

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ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी एसेट (Asset Management Company) (AMC) : मैनेजमेंट कंपनी वह कंपनी होती है जो अलग-अलग प्रकार की म्यूचुअल फंड (Mutual fund) स्कीम लेकर बाजार में आती हैं. जैसे रिलायंस ग्रोथ फंड (म्यूचुअल फंड स्कीम) को रिलायंस कैपिटल ऐसेट मैनेजमेंट लिमिटेड ने लॉन्च किया, जो एक एएमसी यानी ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी है.

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पोर्टफोलियो मैनेजर (Portfolio Manager) : एक बार अगर आपका पैसा म्यूचुअल फंड (Mutual fund) स्कीम में चला गया, तब उस धन का प्रबंधन पोर्टफोलियो मैनेजर करते हैं. वे आपके धन को शेयर या फिर बॉन्ड में निवेश करते हैं, यह निवेश आपकी स्कीम कैसी है उस पर निर्भर करता है. अगर स्कीम के नजरिये से देखा जाये तो उनके निर्णय बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि वे सिर्फ आपका नहीं, बल्कि आपके जैसे हजारों लोगों के धन का प्रबंधन करता है.

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म्‍युचुअल फंड इंट्री लोड (MF Entry load) : म्‍युचुअल फंड इंट्री लोड एक महत्वपूर्ण शब्द है, जो हर म्यूचुअल फंड (Mutual fund) निवेशक के सामने आता है. एंट्री लोड और एक्ज‍िट लोड यानी जब आप निवेश कर रहे हैं, उस वक्त पड़ने वाला शुल्क और जब आप स्कीम से बाहर निकल रहे हैं, उस वक्त पड़ने वाला शुल्क. जब आप म्चूचुअल फंड (Mutual fund) खरीदते हैं तब कई बार आपको एनएवी से ज्यादा पैसा देना पड़ता है. और बेचते वक्त हो सकता है आपको कम एनएवी मिले. हालांकि यह निवेशकों के लिये अच्छा नहीं होता.

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म्‍युचुअल फंड पोर्टफोलियो (Mutual Fund Portfolio) : सभी शेयर और निवेश किया गया धन मिलकर पोर्टफोलियो बनता है. तो अगर कोई म्यूचुअल फंड स्कीम रिलायंस, आईसीआईसीआई बैंक, बजाज ऑटो, आईडीबीआई बैंक और कुछ सरकारी बॉन्ड खरीदते हैं तो ये सभी एकत्र होकर एक पोर्टफोलियो बनते हैं.

एयूएम (AMU) : पूर्ण धन जो निवेश किया गया है, उस कुल धन को एसेट्स अंडर मैनेजमेंट यानी एयूएम कहते हैं. एयूएम (AMU) बाजार के वातावरण और निवेशकों के निवेश व धन निकालने की तीव्रता के हिसाब से घटता बढ़ता रहता है.

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एसआईपी (SIP) : ज्यादातर ओपन एंडेड में आप हर महीने छोटे-छोटे निवेश कर सकते हैं. या फिर तिमाही, छहमाही या सालाना भी. इसे सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान (SIP) कहते हैं. यह बैंक के आवर्ती जमा की तरह कार्य करता है.

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एनएफओ न्यू फंड ऑफर (NFO) : म्यूचुअल फंड (Mutual fund) के नये ऑफर होते हैं जिनकी फेस वैल्यू 10 रुपए होती है.

Source : Vinay Kumar Mishra

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