केंद्र सरकार 1 साल में 10 लाख रुपये से अधिक की कैश निकासी पर टैक्स लगाने की योजना बना रही है. मीडिया में आई खबरों के मुताबिक अब लोगों को भविष्य में 10 लाख रुपये से ज्यादा के कैश निकालने पर टैक्स चुकाना पड़ सकता है.
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क्या है सरकार की मंशा
इस योजना के पीछे नरेंद्र मोदी सरकार की मंशा फिजिकल करेंसी यानि पेपर नोट के उपयोग को कम करने की है. साथ ही सरकार का उद्देश्य कालेधन पर लगाम लगाने की भी है. केंद्र सरकार के इस कदम से देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा मिलने की संभावना है. सरकार फिलहाल इस योजना पर काम कर रही है. गौरतलब है कि करीब 10 साल पहले तत्कालीन UPA सरकार ने कैश के लेनदेन को लेकर टैक्स का प्रस्ताव पेश किया था. हालांकि उस दौरान इसका कड़ा विरोध हुआ था, जिसको बाद में वापस ले लिया गया था.
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कैश निकासी पर आधार कार्ड को अनिवार्य करने पर भी विचार
कालेधन पर अंकुश लगाने और डिजिटल पेंमेंट को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से नरेंद्र मोदी सरकार अब कैश निकालने पर आधार कार्ड को भी अनिवार्य करने पर विचार कर रही है.
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जानकारों का कहना है कि आधार कार्ड को अनिवार्य करने की वजह से कैश में बड़े लेन-देन करने वाले की पहचान करना बेहद आसान हो जाएगा. उनका कहना है कि नकद लेन-देन का इनकम टैक्स रिटर्न के साथ मिलान करना भी आसान हो जाएगा. गौरतलब है कि मौजूदा समय में 50 हजार से अधिक कैश जमा करने पर पैन कार्ड जमा करना अनिवार्य है.
HIGHLIGHTS
- केंद्र सरकार की 1 साल में 10 लाख रुपये से अधिक की कैश निकासी पर टैक्स लगाने की योजना
- सरकार की मंशा फिजिकल करेंसी के उपयोग को कम करने के साथ ही कालेधन पर लगाम लगाने की है
- नरेंद्र मोदी सरकार अब कैश निकालने पर आधार कार्ड को भी अनिवार्य करने पर विचार कर रही है