नरेंद्र मोदी सरकार ने ऑर्गेनाइज्ड सेक्टर (संगठित क्षेत्र) में काम करने वाले करोड़ों लोगों के लिए बड़ी घोषणा की है. सरकार ने राज्य कर्मचारी बीमा (ESI) एक्ट के तहत अंशदान की दर को 6.5 फीसदी से घटाकर 4 फीसदी कर दिया है. नए आदेश के तहत नियोक्ता का अंशदान 4.75 फीसदी से घटाकर 3.25 फीसदी कर दिया है.
इसके अलावा कर्मचारियों को 1.75 फीसदी के स्थान पर अब 0.75 फीसदी ही अंशदान देना पड़ेगा. घटी हुई दरें एक जुलाई 2019 से प्रभावी मानी जाएगी. सरकार के इस कदम से करीब 3.6 करोड़ कर्मचारी और 12.85 लाख नियोक्ता को फायदा होगा. केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी है.
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कंपनियों को सालाना 5 हजार करोड़ रुपये बचत की संभावना
केंद्र सरकार के इस फैसले से कंपनियों को सालाना करीब 5 हजार करोड़ रुपये की बचत होने की संभावना है. श्रम मंत्रालय के मुताबिक अंशदान घटने से ज्यादा से ज्यादा कामगारों को ESI के अंतर्गत लाने में आसानी होगी. वहीं अंशदान कम होने से कंपनियों के ऊपर वित्तीय बोझ भी कम होगा.
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ESI Act से मिलती है कई सुविधाएं
कर्मचारी राज्य बीमा कानून, 1948 (ESI Act) के अंतर्गत बीमित व्यक्तियों को चिकित्सा समेत कई सुविधाएं मिलती हैं. ESI कानून के अंतर्गत उपलब्ध कराए जाने वाले फायदे नियोक्ताओं और कर्मचारियों द्वारा किए गए अंशदान के माध्यम से वित्त पोषित होते हैं.
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श्रम और रोजगार मंत्रालय के जरिए केंद्र सरकार ESI कानून के अंतर्गत अंशदान की दर तय करती है. मौजूदा समय में अंशदान की दर वेतन का 6.5 प्रतिशत निर्धारित है. इसके तहत नियोक्ता का अंशदान 4.75 प्रतिशत और कर्मचारी का अंशदान 1.75 प्रतिशत है. अंशदान की पुरानी दर 1 जनवरी 1997 से लागू थी.
HIGHLIGHTS
- सरकार ने ESI एक्ट के तहत अंशदान की दर को 6.5 फीसदी से घटाकर 4 फीसदी किया
- नए आदेश के तहत नियोक्ता का अंशदान 4.75 फीसदी से घटाकर 3.25 फीसदी किया गया
- कर्मचारियों को 1.75 फीसदी के स्थान पर अब 0.75 फीसदी ही अंशदान देना पड़ेगा