मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बजट में सरकारी कर्मचारियों के लिए 2004 से पहले की तरह पेंशन (Pension) का प्रावधान राजस्थान में लागू कर दिया है. इसकी प्रशंसा हर सरकारी कर्मचारी कर रहा है. ऐसे में कांग्रेस को लगता है कि उसने सही नब्ज पर हाथ रख दिया है. OPS यानी ओल्ड पेंशन स्कीम के जरिए राजस्थान में मिले समर्थन से कांग्रेस उत्साहित है, इसे पार्टी मुख्यमंत्री का मास्टर स्ट्रोक मान रही है. यही वजह है कि कांग्रेस अब पूरे देश में इसे मॉडल के तौर पर प्रोजेक्ट करने की तैयारी में है. मंशा है कि उत्तर प्रदेश में बाकी बचे चरणों में इसे भुनाया जाए और ये इसलिए भी जरूरी है क्योंकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती बार बार कह रहे हैं कि उनकी सरकार सत्ता में आते ही NPS को हटा OPS (OPS Vs NPS) लागू करेगी.
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नजर भविष्य पर टिकी है और रणनीति उसको लेकर ही गढ़ी जा रही है. सूत्रों की मानें तो पार्टी ने लगभग तय कर लिया है कि OPS को लेकर अपनी राय स्पष्ट तरीके से अब वो अपने घोषणापत्र के जरिए रखेंगे. अपनी रणनीति को अमली जामा पहनाने के लिए ही आज (25 फरवरी 2022) प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा दिल्ली पहुंचे हैं. डोटासरा दिल्ली के एआईसीसी मुख्यालय पर राजस्थान प्रभारी अजय माकन के साथ मीडिया से राजस्थान सरकार की उपलब्धि को साझा किया. कांग्रेस ये बताना चाहती कि वे कर्मचारियों की हित चिंतक है. राजस्थान का ये फार्मूला कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में भी अपना सकती है.
1 जनवरी 2004 या उसके बाद नियुक्त कर्मियों को पहले की तरह ही रिटायरमेंट के बाद पेंशन दिए जाने की घोषणा की गई है. बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव में इसे बड़ा मुद्दा बनाया गया था. सीएम गहलोत ने कहा कि सरकार के इस निर्णय से 1000 करोड़ का राजकोष पर अतिरिक्त भार पड़ेगा. सीएम गहलोत ने इस निर्णय का कर्मचारी संगठनों ने स्वागत किया है.
HIGHLIGHTS
- 2004 से पहले की तरह राजस्थान में पेंशन का प्रावधान लागू हुआ
- कांग्रेस देशभर में इसे मॉडल के तौर पर प्रोजेक्ट करने की तैयारी में