राष्ट्रनिर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है ईमानदार टैक्सपेयर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नए टैक्स सिस्टम की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश में चल रहा स्ट्रक्चरल रिफॉर्म का सिलसिला आज एक नए पड़ाव पर पहुंच गया है.

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Dhirendra Kumar
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)( Photo Credit : फाइल फोटो)

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) आज यानि गुरुवार को ईमानदार करदाताओं को सम्मानित करने के लिए एक विशेष प्लेटफॉर्म को लॉन्च कर दिया है. आधिकारिक बयान के मुताबिक ट्रांसपेरेंट टैक्सेशन-ऑनरिंग द ऑनेस्ट' (Transparent Taxation – Honoring The Honest) प्लेटफॉर्म के लान्च होने से प्रत्यक्ष कर सुधारों में काफी बदलाव होने की उम्मीद की जा रही है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर भी लॉन्च के दौरान मौजूद रहे.

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फेसलेस एसेसमेंट, फेसलेस अपील और टैक्सपेयर्स चार्टर जैसे बड़े रिफॉर्म्स शामिल
नए टैक्स सिस्टम की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश में चल रहा स्ट्रक्चरल रिफॉर्म का सिलसिला आज एक नए पड़ाव पर पहुंच गया है. ट्रांसपेरेंट टैक्सेशन-ऑनरिंग द ऑनेस्ट 21वीं सदी के टैक्स सिस्टम की इस नई व्यवस्था का आज लोकार्पण किया गया है. इस प्लेटफॉर्म में फेसलेस एसेसमेंट, फेसलेस अपील और टैक्सपेयर्स चार्टर जैसे बड़े रिफॉर्म्स शामिल हैं. फेसलेस एसेसमेंट और टैक्सपेयर्स चार्टर आज से लागू हो गए हैं. उन्होंने कहा कि फेसलेस अपील की सुविधा 25 सितंबर यानि दीन दयाल उपाध्याय जी के जन्मदिन से पूरे देशभर में नागरिकों के लिए उपलब्ध हो जाएगी.

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ईमानदार टैक्सपेयर की राष्ट्रनिर्माण में बड़ी भूमिका
प्रधानमंत्री ने कहा कि अब टैक्स सिस्टम भले ही फेसलेस हो रहा है, लेकिन टैक्सपेयर को ये Fairness और Fearlessness का विश्वास देने वाला है. उन्होंने कहा कि देश का ईमानदार टैक्सपेयर राष्ट्रनिर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है. जब देश के ईमानदार टैक्सपेयर का जीवन आसान बनता है, वो आगे बढ़ता है, तो देश का भी विकास होता है, देश भी आगे बढ़ता है. उन्होंने कहा कि आज से शुरू हो रहीं नई व्यवस्थाएं, नई सुविधाएं, मिनिमम गवर्नमेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करती हैं. उन्होंने कहा कि ये देशवासियों के जीवन से सरकार को, सरकार के दखल को कम करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है.

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नियम-कानून और पॉलिसी में आम आदमी के हितों का ध्यान रखा गया
उन्होंने कहा कि आज हर नियम-कानून को, हर पॉलिसी को प्रोसेस और शक्ति केंद्रित अप्रोच से बाहर निकालकर उसको आम लोगों के हितों को ध्यान में रखकर बनाने पर बल दिया जा रहा है. ये नए भारत के नए गवर्नेंस मॉडल का प्रयोग है और इसके सुखद परिणाम भी देश को मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब देश में माहौल बनता जा रहा है कि कर्तव्य भाव को सर्वोपरि रखते हुए ही सारे काम करें. सवाल ये कि बदलाव आखिर कैसे आ रहा है? क्या ये सिर्फ सख्ती से आया है? क्या ये सिर्फ सज़ा देने से आया है? नहीं, बिल्कुल नहीं. उन्होंने कहा कि एक दौर था जब हमारे यहां सुधार की बहुत बातें होती थीं. कभी मजबूरी में कुछ फैसले लिए जाते थे, कभी दबाव में कुछ फैसले हो जाते थे, तो उन्हें सुधार कह दिया जाता था, यही कारण है इच्छित परिणाम नहीं मिलते थे. अब ये सोच और अप्रोच, दोनों बदल गई है.

टैक्सपेयर्स चार्टर भी देश की विकास यात्रा में बहुत बड़ा कदम
उन्होंने कहा कि भारत के टैक्स सिस्टम में फंडमेंटल और स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स की जरूरत इसलिए थी क्योंकि हमारा आज का ये सिस्टम गुलामी के कालखंड में बना और फिर धीरे धीरे उसी के साथ विकसित हुआ. आजादी के बाद इसमें यहां वहां थोड़े बहुत परिवर्तन किए गए, लेकिन अगर वृहद स्तर पर देखें तो सिस्टम की कार्यप्रणाली कमोवेश वही रही. उन्होंने कहा कि प्रक्रियाओं की जटिलताओं के साथ-साथ देश में टैक्स भी कम किया गया है. 5 लाख रुपये की आय पर अब टैक्स जीरो है. बाकी स्लैब में भी टैक्स कम हुआ है. यही नहीं कॉर्पोरेट टैक्स के मामले में हम दुनिया में सबसे कम टैक्स लेने वाले देशों में से एक हैं. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की कोशिश है कि टैक्स की प्रणाली काफी आसान हो ताकि करदाताओं को किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं हो. उन्होंने कहा कि टैक्सपेयर्स चार्टर भी देश की विकास यात्रा में बहुत बड़ा कदम है.

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उन्होंने कहा कि अब टैक्सपेयर को उचित, विनम्र और तर्कसंगत व्यवहार का भरोसा दिया गया है यानि आयकर विभाग को अब टैक्सपेयर की गरिमा का संवेदनशीलता के साथ ध्यान रखना होगा. अब टैक्सपेयर की बात पर विश्वास करना होगा और अब डिपार्टमेंट उसको बिना किसी आधार के ही शक की नज़र से नहीं देख सकता है. वर्ष 2012-13 में जितने टैक्स रिटर्न्स होते थे, उसमें से 0.94 परसेंट की स्क्रूटनी होती थी. वर्ष 2018-19 में ये आंकड़ा घटकर 0.26 परसेंट पर आ गया है यानि केस की स्क्रूटनी, करीब-करीब 4 गुना कम हुई है.

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