हर किसी की महीने में फिक्स्ड इनकम की ख्वाहिश होती है. मंथली इनकम स्कीम (Monthly Income Scheme) आपकी इस ख्वाहिश को पूरा करने में पूरी मदद करता है. इसके जरिए आपको हर महीने शानदार कमाई होती है. वैसे तो मार्केट में मंथली इनकम स्कीम के नाम पर कई योजनाएं हैं, लेकिन आज हम बात करेंगे कि स्टेट बैंक की मासिक आय योजना (SBI Monthly Income Scheme) और पोस्ट ऑफिस मासिक आय योजना (Post Office Monthly Income Scheme) में कौन बेहतर है जो आपकी हर महीने की रेग्युलर आय की ख्वाहिश को पूरी करता है.
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स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की मासिक आय योजना क्या है - What is SBI Monthly Income Scheme
स्टेट बैंक मासिक आय योजना (SBI Monthly Income Plan) एक Hybrid Mutual Fund Scheme है. इस म्यूचुअल फंड के तहत ज्यादातर पूंजी डेट फंड (Debt Funds) में निवेश की जाती है. नियमों के अनुसार इस स्कीम में 75 से 90 फीसदी डेट फंड्स और 10 से 25 फीसदी फीसदी इक्विटी फंड में निवेश होता है.
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पोस्ट ऑफिस मासिक आय योजना क्या है- What is Post Office Monthly Income Scheme
पोस्ट आफिस मासिक आय योजना के तहत निवेशक को 5 साल के लिए एकमुश्त (Lump Sum) रकम जमा करनी पड़ती है. जमा रकम पर बने ब्याज को हर महीने बराबर-बराबर किस्त के रूप में बांट दिया जाता है. इसके अलावा निवेशक के द्वारा जमा की गई रकम भी 5 साल के बाद वापस कर दी जाती है. इस स्कीम के तहत अधिकतम 4.5 लाख रुपये ही जमा किया जा सकता है. हालांकि 2 या 3 लोगों द्वारा संयुक्त खाता (Joint Account) खुलवाने पर अधिकतम 9 लाख रुपये तक जमा किया जा सकता है.
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SBI और पोस्ट ऑफिस मासिक योजना में कौन है बेहतर
निवेश की सुरक्षा सबसे अहम
पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम में निवेशक का पैसा सरकार के पास जमा होता है. इसीलिए जब निवेशक जरूरत के समय अपने पैसे की मांग करता है तो सरकार की जिम्मेदारी होती है कि वो इसके पैसे को लौटाए. पोस्ट ऑफिस की इस योजना में आपका पैसा पूरा तरह से सुरक्षित होता है. वहीं दूसरी ओर एसबीआई की मासिक योजना में निवेशक का पैसा म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेशित होता है और यह इसमें रिटर्न मार्केट के उतार-चढ़ाव पर निर्भर है. इसके अलावा इस योजना में सरकार का नियंत्रण बहुत ही कम या कहें कि ना के बराबर होता है. इस स्कीम में जोखिम (Risk) अधिक होता है.
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निवेश की अवधि क्या होती है- What Is Investment Tenure
पोस्ट ऑफिस मासिक आय योजना के तहत निवेशक को 5 साल के लिए एकमुश्त (Lump Sum) रकम जमा करनी पड़ती है. 5 साल बाद निवेशक इस स्कीम से बाहर निकल सकता है, या फिर चाहे तो अगले 5 साल के लिए फिर से निवेश (Reinvestment) किया जा सकता है. वहीं दूसरी ओर SBI की मासिक आय योजना में अवधि की बाध्यता नहीं है. इस स्कीम के तहत पैसा कभी भी निकाला जा सकता है. हालांकि 1 साल के पहले पैसा निकालने पर 1 फीसदी की कटौती हो जाती है.
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पोस्ट ऑफिस स्कीम में निश्चित रिटर्न की गारंटी
पोस्ट ऑफिस की मंथली इनकम स्कीम में सरकार ब्याज दरें तय करती है. वहीं दूसरी ओर SBI की मासिक योजना में मिलने वाला रिटर्न शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव के हिसाब से तय होता है. पोस्ट ऑफिस में मिलने वाला ब्याज 8 फीसदी के आस-पास रहता है, जबकि एसबीआई में रिटर्न का प्रतिशत कम या ज्यादा भी हो सकता है. हालांकि जानकारों का कहना है कि लॉन्ग टर्म में निवेश करने पर निवेशकों को 12 फीसदी से ज्यादा भी रिटर्न मिल सकता है.
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पोस्ट ऑफिस मासिक आय योजना में निश्चित रकम जमा करने की बाध्यता
पोस्ट ऑफिस की मासिक आय योजना में न्यूनतम 1,500 रुपये और अधिकतम 4.5 लाख रुपये जमा कर सकते हैं. संयुक्त खाता होने की स्थिति में 9 लाख रुपये जमा किया जा सकता है. एसबीआई (SBI) की मंथली इनकम योजना में ऐसी कोई बाध्यता नहीं है. इसमें आप 100 रुपये के निवेश से भी स्कीम का लाभ उठा सकते हैं.
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किस पर कितना टैक्स
पोस्ट ऑफिस मासिक योजना में निवेश पर Section 80C के तहत टैक्स छूट का प्रावधान नहीं है. वहीं एसबीआई की मासिक योजना में शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन टैक्स और लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन टैक्स के नियम लागू होते हैं. 3 साल से पहले निवेशित रकम को निकालने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गैन टैक्स लगेगा. 3 साल बाद पैसा निकालने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गैन टैक्स यानि 20 फीसदी टैक्स लगेगा.
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निवेशक अगर अपने निवेश को पूरी तरह से सुरक्षित और बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाना चाहते हैं तो उनके लिए पोस्ट ऑफिस की मासिक आय योजना में निवेश सबसे सटीक और फायदेमंद विकल्प है. वहीं अगर वे थोड़ा जोखिम उठाने को तैयार हैं और वेल्थ क्रिएशन का लक्ष्य रखे हुए हैं तो उन्हें SBI की मासिक आय योजना में निवेश करना चाहिए.
HIGHLIGHTS
- भारतीय स्टेट बैंक की मासिक आय योजना एक Hybrid Mutual Fund Scheme है
- पोस्ट आफिस मासिक आय योजना में 5 साल के लिए एकमुश्त रकम जमा करनी पड़ती है
- पोस्ट ऑफिस मासिक योजना में निवेश पर Section 80C के तहत टैक्स छूट का प्रावधान नहीं