सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मानसिक बीमारी (Mental Illness) को बीमा कवर (Insurance Cover) में शामिल करने की मांग वाली याचिका पर केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार और बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDA) को नोटिस जारी किया है. एडवोकेट गौरव बंसल ने याचिका दायर कर कहा है कि मेंटल हैल्थ केअर एक्ट 2017 में प्रावधान होने आदेश के बावजूद बीमा कम्पनियां मानसिक बीमारियों के लिए बीमा कवर नहीं देती हैं.
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29 मई 2018 से मानसिक स्वास्थ्य सेवा कानून हुआ था प्रभावी
बता दें कि सार्वजनिक क्षेत्र की चार बीमा कंपनियों ने जुलाई 2019 तक एक लाख लोगों को मानसिक रोग से संबंधित बीमा कवर उपलब्ध कराया था. 29 मई 2018 से मानसिक स्वास्थ्य सेवा कानून, 2017 (Mental Health Care Act 2017) लागू हुआ था. इस कानून के तहत प्रावधान है कि सभी बीमा कंपनियों को मानसिक बीमारी के इलाज के लिए अन्य बीमारियों की तरह ही चिकित्सा बीमा उपलब्ध कराना होगा. अन्य बीमारियों में जिस आधार पर बीमा कवर उपलब्ध कराया जाता है, मानसिक रोग भी उसी आधार पर कवर उपलब्ध कराना होगा. अगस्त, 2018 में भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा कंपनियों से कानून के इस प्रावधान का अनुपालन करने को कहा था.
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वित्त मंत्रालय द्वारा लोकसभा को उपलब्ध कराई गई सूचना में कहा गया है, ''सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों ने सूचित किया है कि देशभर में करीब एक लाख लोगों को मानसिक रोग के इलाज का बीमा कवर दिया गया है.' ऐक्ट के सेक्शन 21 (4) के अनुसार हर इंश्योरेंस कंपनी को शारीरिक बीमारियों की तरह ही मानसिक बीमारियों के इलाज के लिए मेडिकल इंश्योरेंस के प्रावधान बनाना चाहिए.
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इरडा ने कहा था कि 2018 अगस्त में उसने इस बारे में सर्कुलर जारी किया था. उसके बाद 110 ऐसे उत्पादों को मंजूरी दी गई थी, जो मानसिक रोग को कवर करते हैं. माना जाता है कि धीरे-धीरे मानसिक रोग से संबंधिता बीमा कराने का चलना बढ़ेगा. मानसिक रोगों के इलाज को लेकर देश में जागरूकता की कमी है. कई लोग इसे बीमारी नहीं मानते हैं, जबकि इसका इलाज मुमकिन है. सरकार चाहती है कि मानसिक रोगों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है.