बजट में आम आदमी इनकम टैक्स की दरों में कटौती को लेकर आशान्वित थे. दरअसल, केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने वित्त वर्ष के दौरान ही कॉर्पोरेट टैक्स (Corporate Tax) में कटौती की थी. यही वजह है कि आम आदमी ने भी आयकर की दरों में कटौती की उम्मीद लगा दी थी. हालांकि बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने इनकम टैक्स स्लैब के ही समानांतर व्यवस्था लाने की घोषणा कर दी. ऐसे में अब लोगों के सामने यह दुविधा है कि वो पुराने सिस्टम में रहें या नए सिस्टम में चले जाएं.
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नई व्यवस्था में बचत से हट सकता है रुझान
जानकारों के मुताबिक इनकम टैक्स की नई व्यवस्था में लोगों का रुझान बचत की ओर से हट सकता है. ऐसा इसलिए है कि जब लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा आएगा तो वे ज्यादा खर्च करने की कोशिश करेंगे, जबकि पुरानी व्यवस्था में टैक्स बचाने के लिए ही सही लेकिन वे बचत करते थे. नए सिस्टम में सेक्शन 80C के तहत मिलने वाली टैक्स छूट से आयकर दाताओं को हाथ धोना पड़ सकता है. 80C के तहत मिलने वाली टैक्स छूट में शामिल निवेश विकल्पों में पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF), नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) और इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) प्रमुख है. हालांकि निवेशक के पास अगर अधिक पैसा आता है तो उन्हें निवेश के लिए विकल्पों की तलाश जरूर करनी चाहिए.
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जानकारों का कहना है कि नए टैक्स सिस्टम में रिटायरमेंट से जुड़े टैक्स सेविंग प्रोडक्ट को शामिल किया जाना चाहिए, ताकि बुजुर्गों को रिटायरमेंट पर टैक्स मुक्त पैसा मिल सके. एक्सपर्ट्स का कहना है कि डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (Dividend Distribution Tax-DDT) हटाने की वजह से आम निवेशकों को म्यूचुअल फंड से अधिक डिविडेंड मिलेगा. निवेशकों को उनके इनकम टैक्स के स्लैब के अनुसार मिलने वाले डिविडेंड के ऊपर टैक्स देना होगा.