अगर आप इंश्योरेंस लेने जा रहे हैं तो सावधान हो जाइए. आपका एजेंट इंश्योरेंस (Insurance) के नाम पर कहीं इनवेस्टमेंट प्लान (Investment Plan) तो नहीं दे रहा है. देश में आज भी ज्यादातर लोग इंश्योरेंस के नाम पर या तो मनी बैक पॉलिसी, एंडाउमेंट या फिर यूलिप प्लान ले लेते हैं. बता दें कि ऐसा करने से ना तो इंश्योरेंस का लक्ष्य पूरा होता है और ना ही सही से निवेश हो पाता है. सही मायने में इंश्योरेंस का काम टर्म पॉलिसी (Term Plan) ही करता है. टर्म पॉलिसी के जरिए कम प्रीमियम में एक बड़ी रकम का बीमा हो जाता है. इन्हीं सभी मुद्दों पर आज हम इस रिपोर्ट में चर्चा करेंगे और समझाने की कोशिश करेंगे कि इंश्योरेंस कितना जरूरी है और किस तरह की पॉलिसी आपके लिए बेहतर रहेगी.
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लोकप्रिय लाइफ इंश्योरेंस प्लान
- टर्म इंश्योरेंस
- एंडाउमेंट प्लान
- ULIP (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान)
- मनी बैक लाइफ इंश्योरेंस
- पेंशन प्लान
- चाइल्ड इंश्योरेंस
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टर्म इंश्योरेंस
- कम प्रीमियम में बड़ी कवरेज
- आश्रित (Dependent) को वित्तीय सहारा
- मैच्योरिटी पर फायदे कम
एंडाउमेंट प्लान
- प्रीमियम ज्यादा, बीमा की रकम कम
- निश्चित टर्म के बाद एक मुश्त रकम मिलेगी
- सालाना 4% के आसपास रिटर्न
मनी बैक लाइफ इंश्योरेंस
- तय पीरियड पर मनी बैक का विकल्प
- मैच्योरिटी पर भी एक मुश्त रकम मिलेगी
- सालाना 4% के आसपास रिटर्न
ULIP (यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान)
- मार्केट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान है ULIP
- प्रीमियम का कुछ हिस्सा लाइफ इंश्योरेंस में जाता है
- प्रीमियम का बड़ा हिस्सा शेयर बाजार में निवेश करता है
- इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करने का ऑप्शन
- मंथली या सालाना आधार पर भर सकते हैं प्रीमियम
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टर्म इंश्योरेंस की लोकप्रियता कम क्यों?
टर्म इंश्योरेंस को लेकर लोगों में जागरूकता का अभाव है. साथ ही मैच्योरिटी पर इसके फायदे भी कम है. इसलिए भी लोग टर्म प्लान लेने से हिचकते हैं. जीवन बीमा पॉलिसी से मैच्योर होने के बाद कुछ रकम मिलती है, जबकि परंपरागत टर्म इंश्योरेंस से कोई रकम नहीं मिलती है. हालांकि समय के साथ टर्म प्लान के स्वरूप में भी बदलाव आया है. मौजूदा समय में मार्केट में कुछ ऐसे टर्म प्लान हैं, जो कवर लेने वाले को मैच्योरिटी पर कुल प्रीमियम की राशि लौटा देते हैं. यानी, अगर आपने टर्म प्लान लिया और कवर अवधि के दौरान आपको कुछ भी नहीं हुआ तो कंपनी आपसे ली हुई कुल प्रीमियम की राशि आपको लौटा देगी. इस तरह के टर्म प्लान को टर्म इंश्योरेंस प्लान विद रिटर्न प्रीमियम (TROP) कहा जाता है. हालांकि, इस तरह के प्लान का प्रीमियम थोड़ा अधिक होता है.
टर्म प्लान के साथ राइडर
समय के साथ जरूरत बदलती रहती है. बाजार में टर्म प्लान के साथ कई तरह के राइडर उपलब्ध हैं, जिनको आप अपनी पॉलिसी के साथ बहुत मामूली खर्चें पर जोड़ सकते हैं. इनमें मुख्य रूप से एक्सिडेंटल डेथ बेनिफिट राइडर, क्रिटिकल इलनेस राइडर, डिजैबलिटी राइडर आदि शामिल हैं. इसके साथ कई ऐसे प्लान हैं जिसके तहत पॉलिसी के दौरान आप टर्म प्लान को जीवन बीमा प्लान में कन्वर्ट कर सकते हैं.
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मासिक आय का जरिया भी है टर्म प्लान
अगर बीमा लेने वाले व्यक्ति की पॉलिसी के दौरान अचानक मौत हो जाती है और नॉमिनी मिलने वाले लाभ को एकमुश्त लेना नहीं चाहता है तो वह इसको मासिक आधार पर भी ले सकता है. बहुत सारे टर्म इंश्योरेंस प्लान में पहले से भी मासिक आधार पर राशि लेने की सुविधा है. वहीं, अगर नॉमिनी चाहता है कि वह एक साथ राशि ले तो वह ऐसा बाद में भी कर सकता है.
कम प्रीमियम में बड़ा कवर
टर्म प्लान लेने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह आपको कम प्रीमियम में बड़ा कवर देता है. आप 1 करोड़ रुपये का कवर बहुत ही कम प्रीमियम पर लिया जा सकता है. ऐसा इसलिए है कि टर्म प्लान पूरी तरह से रिस्क प्लान होता है. इसलिए जो लोग कम प्रीमियम में बड़ा कवर लेना चाहते हैं, उनके लिए यह सबसे अच्छा विकल्प है. इसके साथ ही आप पॉलिसी टर्म के दौरान अपने कवर को चाहें तो बढ़ा भी सकते हैं. एक 35 साल के आदमी को 30 साल के लिए 1 करोड़ रुपए के कवर पर 12 से लेकर 15 हजार रुपए के बीच या आसपास देना पड़ सकता है. जबकि साधारण बीमा के तहत 1 करोड़ के कवर पर इसका कई गुना अधिक देना पड़ेगा, जो अधिकांश लोगों के लिए संभव नहीं है.
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पॉलिसी व टर्म चुनने की आजादी
टर्म इंश्योरेंस आपकी पॉलिसी की समय-सीमा जैसे 15, 20 या 30 साल के लिए चुनने की आजादी देता है; यानी, आप जितने समय के लिए पॉलिसी लेंगे उतने वक्त के लिए प्रीमियम भुगतान करना होगा. कई टर्म इंश्योरंस सिंगल प्रीमियम का भी ऑप्शन देते हैं. यानी आप एक बार प्रीमियम भुगतान कर कवर की अवधि तक पॉलिसी का लाभ ले सकते हैं.
कितना होना चाहिए कवर
अगर आपकी उम्र 40 साल से कम है तो एश्योर्ड रकम आपकी सालाना आय की 15 गुना होनी चाहिए और अगर आपकी उम्र 40 से 45 साल के बीच है तो यह राशि आपकी सालाना आय की 10 गुना होनी चाहिए. सम एश्योर्ड का निर्धारण वास्तव में आपकी आर्थिक जिम्मेदारियों पर निर्भर करता है, ताकि आपातकालीन स्थिति में बीमा उन आर्थिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में मददगार साबित हो सके.
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Source : Dhirendra Kumar