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AGR Case Hearing Today 14 Aug 2020: जियो और आरकॉम को स्पेक्ट्रम शेयरिंग एग्रीमेंट का ब्यौरा देने का आदेश

AGR Case Hearing Today 14 Aug 2020: सुप्रीम कोर्ट ने आज की सुनवाई में कहा कि इनसॉल्वेंसी में आईं टेलीकॉम कंपनियों के रेजॉल्यूशन प्रोफेशनल्स को स्पेक्ट्रम इस्तेमाल की जानकारी देनी होगी.

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Dhirendra Kumar
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Supreme Court

Supreme Court: AGR Case Hearing Today 14 Aug 2020( Photo Credit : फाइल फोटो)

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AGR Case Hearing Today 14 Aug 2020: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) मामले की सुनवाई शुरू हो गई है. 10 अगस्त को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा था कि वह टेलीकॉम कंपनियों से बकाया की वसूली के लिए एक योजना बनाकर आएं. पिछली सुनवाई में सरकार ने कहा था कि दिवालिया कंपनियां स्पेक्ट्रम नहीं बेच सकतीं. सुप्रीम कोर्ट ने आज की सुनवाई में कहा कि इनसॉल्वेंसी में आईं टेलीकॉम कंपनियों के रेजॉल्यूशन प्रोफेशनल्स को स्पेक्ट्रम इस्तेमाल की जानकारी देनी होगी. आरकॉम और एयरसेल के रेजॉल्यूशन प्रोफेशनल्स को IBC की तहत किन कंपनियों की बोली लगी है इसकी जानकारी भी देनी होगी.

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मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को 3 बजे होगी

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कोर्ट समझ रहा है कि रिलायंस जियो मौजूदा समय में रिलायंस कम्यूनिकेशंस के स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल कर रहा है. कोर्ट ने रिलायंस कम्यूनिकेशंस और रिलायंस जियो को स्पेक्ट्रम शेयरिंग एग्रीमेंट का पूरा ब्यौरा देने को आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि रिलायंस जियो के साथ हुए स्पेक्ट्रम शेयरिंग एग्रीमेंट को रिकॉर्ड में होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हम NCLT या NCLAT के किसी भी आदेश को मानने के लिए बाध्य नहीं है. मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को 3 बजे होगी. जस्टिस मिश्रा ने कहा कि स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल से जुड़े सभी कामजात सोमवार को पेश होने चाहिए.

आरकॉम के रिजॉल्यूशन प्रोफेशनल श्याम दीवान का कहना है कि कंपनी 2016 से आर जियो के साथ एसेट शेयरिंग संधि में है. DoT को इस संदर्भ में सूचित किया जा चुका है और आवश्यक शुल्क का भुगतान किया गया है. जस्टिस मिश्रा ने सवाल किया कि अगर रिलायंस जियो आरकॉम के स्पेक्ट्रम का इस्तेमाल कर रही है तो क्या रिलायंस जियो को आरकॉम के एजीआर बकाया का भुगतान करने के लिए कहा जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट के आब्जर्वर ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि आरकॉम के लिए IBC के तहत किसने बोली लगाई है और हम यह भी जानना चाहते हैं कि RComm की बोली के पीछे कौन-कौन से व्यक्ति हैं.

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जस्टिस मिश्रा ने रिलायंस जियो के वकील केवी विश्वनाथन से कहा कि आप जवाबदेही से कैसे बच सकते हैं? यह समय रेवेन्यू शेयरिंग का है. हम आपसे सब वसूल कर लेंगे. रिलायंस जियो के वकील केवी विश्वनाथन ने कहा हम इसका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. हम इसे शेयर कर रहे हैं और स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज हमें मिल रहा है. उन्होंने कहा कि जियो ने AGR का बकाया चुका दिया है. 2016 से बकाया चुकाने के सवाल पर उन्होंने कहा इसके लिए समय की जरूरत है.

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पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने कुल 1.47 लाख करोड़ रुपये का भुगतान करने का दिया था आदेश

बता दें कि दूरसंचार विभाग (DoT) की ओर से टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला एजीआर (AGR)यानी एडजस्ट ग्रॉस रेवेन्यू यूसेज और लाइसेंसिंग फीस है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कंपनियों को बकाये के भुगतान के लिए उचित अवधि लेनी चाहिए. बकाये के भुगतान के लिए 20 साल काफी लंबा समय है यह उचित नहीं लगता है. बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों के मामले में केंद्र की एजीआर की परिभाषा को स्वीकार करते हुए इन टेलीकॉम कंपनियों को कुल 1.47 लाख करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश जारी किया था. केंद्र सरकार ने इन दूरसंचार कंपनियों के लिए एजीआर बकाए के भुगतान को 20 साल में सालाना किस्तों में चुकाने का प्रस्ताव रखा था.

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