AGR Case Hearing Today 10 Aug 2020: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) मामले की सुनवाई शुरू हो गई है. बता दें कि पहले सुनवाई दोपहर 2 बजे से शुरू होनी थी लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 3 बजे कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि टेलीकॉम कंपनियों से बकाया की वसूली के लिए एक योजना बनाकर आएं. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा बेंच ने एजीआर मामले की सुनवाई आज स्थगित कर दी. कोर्ट की अगली सुनवाई 14 अगस्त को होगी. गौरतलब है कि टेलीकॉम कंपनियां लगातार मांग कर रही हैं कि AGR की बकाया रकम काफी ज्यादा है ऐसे में एकसाथ चुकाने से उनके बिजनेस पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. 20 जुलाई को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा लिया था. बता दें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को बार-बार बकाया राशि की रकम पर सवाल उठाने को लेकर कड़ी फटकार लगाई थी.
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आज अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने क्या टिप्पणी की
जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि कोर्ट यह जानना चाहती है कि टेलीकॉम कंपनियां IBC के तहत इनसॉल्वेंसी में क्यों गईं. हम उनकी जवाबदेहियों को समझना चाहते हैं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इसकी जानकारी कंपनियों के द्वारा दी जाएगी. कोर्ट ने पूछा कि क्या कार्यवाही शुरू हो चुकी है. तुषार मेहता ने कहा कि एयरसेल की इन्सॉल्वेंसी कार्यवाही शुरू की गई है. हमने एनसीएलटी को बताया है कि स्पेक्ट्रम किसी कंपनी की संपत्ति नहीं हो सकती है और इसे बेचा नहीं जा सकता है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि रिलायंस कम्युनिकेशंस से 31,000 करोड़ रुपये की रकम की रिकवरी की जा चुकी है और RCom द्वारा स्पेक्ट्रम बिक्री पर आपत्ति अभी भी विचाराधीन है.
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जस्टिस मिश्रा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सभी अदालतों के लिए बाध्य है. RComm द्वारा एरिक्सन को भुगतान के बावजूद NCLAT द्वारा IBC कार्यवाही को कैसे पुनर्जीवित किया जा सकता है. RComm और Ericsson ने सुप्रीम कोर्ट के सामने 580 करोड़ रुपये का भुगतान करके 1,600 करोड़ रुपये के भुगतान विवाद को सुलझा लिया था. RComm ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि एनसीएलटी के सामने रिजोल्यूशन प्लान लंबित है और सीओसी ने इसके लिए 100 फीसदी मंजूरी दी है. आरकॉम ने कहा कि उसके ऊपर बैंकों का बकाया 49,054 करोड़ रुपये है. आरकॉम का कहना है कि उसका प्राइमरी एसेट्स स्पेक्ट्रम है और बैंकों का बकाया चुकाने के लिए IBC के तहत इसकी बिक्री की जा सकती है. वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि स्पेक्ट्रम किसी भी कंपनी की संपत्ति नहीं है.
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पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने कुल 1.47 लाख करोड़ रुपये का भुगतान करने का दिया था आदेश
बता दें कि दूरसंचार विभाग (DoT) की ओर से टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला एजीआर (AGR)यानी एडजस्ट ग्रॉस रेवेन्यू यूसेज और लाइसेंसिंग फीस है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कंपनियों को बकाये के भुगतान के लिए उचित अवधि लेनी चाहिए. बकाये के भुगतान के लिए 20 साल काफी लंबा समय है यह उचित नहीं लगता है. बता दें कि पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों के मामले में केंद्र की एजीआर की परिभाषा को स्वीकार करते हुए इन टेलीकॉम कंपनियों को कुल 1.47 लाख करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश जारी किया था. केंद्र सरकार ने इन दूरसंचार कंपनियों के लिए एजीआर बकाए के भुगतान को 20 साल में सालाना किस्तों में चुकाने का प्रस्ताव रखा था.