AGR Hearing Today: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) मामले की सुनवाई चल रही है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून 2020 को अपने फैसले में वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और टाटा टेलीसर्विसेज को पिछले 10 साल की बैलेंस शीट देने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट में आज टेलीकॉम कंपनियों को किस्तों में AGR की बकाया रकम चुकाने की अनुमति दी जाए या नहीं इस पर चर्चा होने की संभावना है. बता दें कि टेलीकॉम कंपनियां लगातार मांग कर रही हैं कि AGR की बकाया रकम काफी ज्यादा है ऐसे में एकसाथ चुकाने से उनके बिजनेस पर नकारात्मक असर पड़ सकता है. आज AGR भुगतान मामले में हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. कोर्ट ने 7 दिन में टेलीकॉम इंसोल्वेंसी की जानकारी मांगी. मामले की अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी.
यह भी पढ़ें: हफ्ते के पहले कारोबारी दिन सेंसेक्स में 399 प्वाइंट की मजबूती, निफ्टी 11,000 के ऊपर बंद
आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ
वोडाफोन आइडिया की ओर से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि पिछले 15 साल में कंपनी का पूरा नेटवर्थ साफ हुआ है. कर्ज और टैक्स को चुकाने में पूरा रेवेन्यू खर्च हुआ है. हमने सभी संबंधित दस्तावेज पेश कर दिए हैं. 10 साल के बैलेंस शीट और आईटी रिटर्न पेश किए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया से सवाल पूछा कि क्या AGR लाइबिलिटी की प्रोविजनिंग हुई थी. कोर्ट ने कहा कि वोडाफोन आइडिया हमारे लिए फैसला मुश्किल कर रही है और भारी नुकसान के बाद भी कंपनी के ऊपर भरोसा कैसे किया जाए. वोडाफोन आइडिया ने कोर्ट में कहा कि पिछले 1 दशक में 6.27 लाख करोड़ रुपये कमाए हैं और बेसिक जरूरतों पर 4.95 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं. सभी खर्चों को मिला दें तो कंपनी को करीब 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. कंपनी ने 38,000 करोड़ रुपये की की प्रोविजनिंग की है.
यह भी पढ़ें: जानिए क्यों आपके पसंदीदा कैफे कॉफी डे ने 280 आउटलेट को कर दिया बंद, पढ़ें पूरी खबर
कोर्ट के फैसले के बाद 8,000 करोड़ का भुगतान किया: वोडाफोन आइडिया
कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया से सवाल किया कि आपने DoT की मांग के बावजूद AGR बकाया के लिए प्रावधान क्यों नहीं किया? मुकुल रोहतगी ने कहा कि हमने पिछले 14 वर्षों में राजस्व के रूप में जो कुछ भी कमाया है वह खत्म हो गया है. रोहतगी ने कहा कि हमने कोर्ट के फैसले के बाद 8,000 करोड़ का भुगतान किया. हमने 18 जून के बाद एक और 1,000 करोड़ का भुगतान किया है. जस्टिक अरुण मिश्रा ने पूछा कि वोडाफोन के ऊपर किसका नियंत्रण है? इस पर रोहतगी ने कहा कि वोडाफोन के ऊपर किसी का भी नियंत्रण नहीं है. सभी डायरेक्टर्स वेतनभोगी हैं और किसी का भी इस पर नियंत्रण नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया से पूछा कि अगर आप दशकों से घाटे में चल रहे हैं, तो हम आप पर कैसे भरोसा कर सकते हैं? आप AGR बकाया का भुगतान कैसे सुनिश्चित करेंगे?
यह भी पढ़ें: कोरोना काल में मसालों के एक्सपोर्ट में 23 फीसदी की बढ़ोतरी, जून में 35.9 करोड़ डॉलर का निर्यात
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेल्फ असेसमेंट के लिए कोई विकल्प नहीं है. कंपनी को AGR बकाए के भुगतान के लिए रकम जुटानी चाहिए. सेल्फ असेसमेंट करने पर इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा. सेल्फ असेसमेंट करने पर कोर्ट के आदेश का उल्लंघन माना जाएगा और आदेश नहीं माना तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. कोई भी कोर्ट के आदेश को पलट नहीं सकता है. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा ऐसा बिल्कुल नहीं है. कोर्ट ने इस फैक्ट को गलत समझा है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को कोई भी पलटने की कोशिश नहीं कर रहा है.
यह भी पढ़ें: कोरोना वायरस के चलते खुदरा व्यापारियों को 15.5 लाख करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान
रीअसेसमेंट की इजाजत नहीं दी जाएगी: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है सरकार कैलकुलेशन की मंजूरी दे सकती है. कोर्ट ने कहा कि फैसले को लेकर कोई भी उलझन नहीं है और रीअसेसमेंट की इजाजत नहीं दी जाएगी. वहीं मुकुल रोहतगी ने कहा AGR पर सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा हम स्वीकार करेंगे. कपिल सिब्बल ने Hughes की ओर से कहा कि 28 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुके हैं और 126 करोड़ बाकी है. इसके अलावा सरकार के पास 69 करोड़ की बैंक गारंटी भी जमा है. वहीं एयरटेल की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 18,000 करोड़ रुपये चुका दिए गए हैं और यह कुल बकाये का 60 फीसदी है. उन्होंने कहा कि सरकार ने 43,000 करोड़ रुपये की गणना गलत तरीके से की है, इसमें स्पेक्ट्रम यूसेज चार्जेज (SUC) को भी शामिल कर दिया गया है जबकि यह AGR बकाये का हिस्सा नहीं है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी से कहा कि मामले को दोबारा खुलवाने की कोशिश नहीं करें. एजीआर के फैसले में सभी बकाये जुड़े हैं.
यह भी पढ़ें: दिल्ली में शुरू हो गया पहला इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन, बैटरी चार्ज करने पर कितना लगेगा पैसा, जानिए यहां
ईमानदारी से काम नहीं कर रही हैं टेलिकॉम कंपनियां
एयरटेल और टाटा ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी है कि AGR के बकाये को सिर्फ लाइसेंस फीस तक ही सीमित रखना चाहिए और इस बकाये में स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज नहीं जोड़ना चाहिए. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टेलिकॉम कंपनियां ईमानदारी से अपना काम नहीं कर रही हैं. कोर्ट ने टेलिकॉम कंपनियों से सवाल पूछा कि उन्हें राहत क्यों दिया जाए, जो कि बकाये रकम का रिव्यू चाहती हैं. कोर्ट ने कहा कि चार कंपनियां इनसॉल्वेंसी में हैं और उनके ऊपर 40,000 करोड़ रुपये का बकाया है. कोर्ट ने कहा कि कंपनियां अपना बकाया नहीं चुका पा रही हैं तो कंपनियों को किस्तों में भुगतान करने की इजाजत कैसे दिया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कंपनियों को बकाये के भुगतान के लिए उचित अवधि लेनी चाहिए. बकाये के भुगतान के लिए 20 साल काफी लंबा समय है यह उचित नहीं लगता है.
AGR के बकाये के भुगतान के लिए 15 साल का समय मांगा
कपिल सिब्बल ने कहा कि हमने एजीआर पर कभी सवाल नहीं उठाया. हमारे पास केवल 155 करोड़ का एक नोटिस है जिसमें से 40 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है. वोडाफोन आइडिया की ओर से मुकुल रोहतगी ने हाथ जोड़कर कोर्ट से AGR का बकाया चुकाने के लिए 15 साल का समय देने का निवेदन किया है. पहले वोडाफोन आइडिया ने 20 साल का समय मांगा था. रोहतगी ने कोर्ट से कहा कि 58 हजार करोड़ रुपये की डिमांड को कंपनी स्वीकार करती है लेकिन इसका भुगतान करने के लिए हमें 20 साल का समय चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वोडाफोन का यह कहने का तरीका कोर्ट को पसंद नहीं आया है कि अगर 20 साल का समय नहीं दिया गया तो कंपनी कोर्ट का आदेश नहीं मान पाएगी. कोर्ट ने कहा कि यह धमकी के जैसा लग रहा है. एयरटेल की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने भी बकाये के भुगतान के लिए 15 साल का समय मांगा है. सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरकार इस मामले पर विचार कर रही है और वह इस पर फैसला लेगी कि 20 साल का समय दिया जाए या नहीं. इस फैसले का इकोनॉमी पर बुरा असर होगा इसलिए सरकार ने कंपनियों को राहत दी है.
.