देश में सही मायने में डिजिटल क्रांति (Digital Revolution) आकार ले रही है. डिजिटल इंडिया (Digital India) का रूप स्वरूप इस कदर विशालकाय हो गया है कि जल्द ही आपके मोबाइल फोन नंबर 10 के बजाय 11 अंकों के हो जाएंगे. टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने देश में मोबाइल फोन नंबरों में इस बड़े बदलाव के लिए लोगों से सुझाव मांगे हैं. इसकी एक बड़ी वजह देश भर में मोबाइल और लैंड लाइन नंबरों की अधिकता और आने वाले समय में दूरसंचार नंबरों को लेकर आने वाली कमी है.
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90.11 फीसदी के पास फोन सुविधा
दूसरे शब्दों में कहें तो बढ़ती आबादी के साथ टेलीकॉम कनेक्शन की तेजी से बढ़ रही मांग से निपटने के मद्देनजर ही ये विकल्प अपनाए जाने का सुझाव दिया गया है. ट्राई ने इस बारे में एक डिस्कशन पत्र जारी किया है, जिसका शीर्षक है 'एकीकृत अंक योजना का विकास.' ये योजना मोबाइल और लैंडलाइन दोनों प्रकार की लाइनों के लिए है. आंकड़ों के लिहाज से देखें तो 90.11 फीसदी जनसंख्या के पास फोन सुविधा है. भले ही वह मोबाइल के रूप में हो या फिर लैंड लाइन के रूप में.
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2003 में हुई थी इसके पहले नंबर प्लानिंग
इसके पहले 2003 में टेलीकॉम विभाग ने नंबरों को लेकर 'नेशनल नंबरिंग प्लान' (NNP) में भारी फेरबदल किया था. उस वक्त कुल 75 करोड़ नंबरों के लिए योजना तैयार की गई थी. तब यह माना गया था कि 2030 तक इसके आधे नंबर ही अमल में लाए जा सकेंगे. यही नहीं, तब टेली घनत्व में 2030 तक वृद्धि दर 50 फीसदी ही आंकी गई थी. यह अलग बात है कि 2009 में ही यह दर हासिल कर ली गई.
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जून तक 118 करोड़ 66 लाख कनेक्शन
अगर आंकड़ों में बात करें तो भारत में जून 2019 तक टेलीफोन उपभोक्ताओं की संख्या 118 करोड़ 66 लाख पार कर चुकी है. यानी 90.11 फीसदी आबादी के पास मोबाइल या लैंडलाइन कनेक्शन की सुविधा है. ऐसे में एनएनपी 2003 के 16 साल बाद टेलीकॉम विभाग को नए नंबरों को लेकर फिर से कवायद करनी पड़ रही है. आइए जानते हैं 11 अंकों के मोबाइल नंबर लाने की क्या है वजह...
- ट्राई के डिस्कशन पत्र में कहा गया है कि अगर ये मान कर चलें कि भारत में 2050 तक वायरलेस फोन गहनता 200 प्रतिशत हो यानी हर व्यक्ति के पास औसतन दो मोबाइल कनेक्शन हों, तो इस देश में सक्रिय मोबाइल फोन की संख्या 3.28 अरब तक पहुंच जाएगी. इस समय देश में 1.2 अरब फोन कनेक्शन हैं.
- ट्राई का अनुमान है कि अंकों का यदि 70 प्रतिशत उपयोग मान कर चले तो उस समय तक देश में मोबाइल फोन के लिए 4.68 अरब नंबरों की जरूरत होगी. सरकार ने मशीनों के बीच पारस्परिक इंटरनेट संपर्क/ इंटरनेट ऑफ द थिंग्स के लिए 13 अंकों वाली नंबर श्रृंखला पहले ही शुरू कर चुकी है.
- 9, 8 और 7 से शुरू होने वाले 10 अंकों के मोबाइल नंबर्स 2.1 बिलियन कनेक्शन कनेक्शन ही दे सकते हैं. ऐसे में आने वाले समय के लिए 11 डिजिट वाले मोबाइल नंबरों की जरूरत पड़ेगी.
- भारत में इससे पहले 1993 और 2003 में नंबरिंग प्लान्स की समीक्षा हो चुकी है. 2003 में नंबरिंग प्लान ने 750 मिलियन फोन कनेक्शन के लिए जगह बनाई थी, जिसमें से 450 मिलियन सेल्युलर और 300 मिलियन बेसिक और लैंडलाइन फोन थे.
- बताया जा रहा है कि सिर्फ मोबाइल फोन के अंक अपडेट नहीं बल्कि फिक्स्ड लाइन नंबर्स को भी 10 अंकों में अपडेट किया जा सकता है.
HIGHLIGHTS
- जून 2019 तक 90.11 फीसदी जनसंख्या के पास फोन सुविधा है.
- 2050 तक वायरलेस फोन गहनता 200 प्रतिशत आंकी जा रही है.
- 2050 तक मोबाइल फोन संख्या 3.28 अरब तक पहुंच जाएगी.