रिलायंस जियो (Reliance Jio) ने समायोजित सकल आय (Adjusted Gross Revenue-AGR) के बकाये का भुगतान कर दिया है. कंपनी ने 31 जनवरी 2020 तक एजीआर से जुड़े पूरे बकाये का भुगतान करने के लिए दूरसंचार विभाग को 195 करोड़ रुपये चुका दिए हैं. इसी के साथ जियो शीर्ष न्यायालय द्वारा निर्धारित समयसीमा में एजीआर का भुगतान करने वाली पहली दूरसंचार कंपनी बन गई है. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि रिलायंस जियो (Jio) ने एजीआर के लिए 195 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. इसमें अग्रिम राशि भी शामिल है जिसे कंपनी ने जनवरी 2020 के लिये भुगतान किया है.
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भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया पर कुल 88,624 करोड़ रुपये की देनदारी बकाया
कंपनी ने उच्चतम न्यायालय के 24 अक्टूबर, 2019 के फैसले के मुताबिक सरकारी राजस्व हिस्सेदारी के भुगतान के लिए 177 करोड़ रुपये का प्रावधान किया हुआ था. जियो की प्रतिद्वंद्वी कंपनी भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया पर कुल 88,624 करोड़ रुपये की देनदारी बकाया है और कंपनियों ने विभाग से भुगतान के लिए और समय मांगा है. सूत्रों ने कहा कि शीर्ष न्यायालय ने एजीआर की बकाया राशि जमा करने के लिए 23 जनवरी तक का समय दिया है। हालांकि, कंपनियों ने भुगतान के लिए और समय देने की मांग करते हुए शीर्ष न्यायालय में याचिका लगाई है.
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एयरटेल का AGR चुकाने से इनकार
सुप्रीम कोर्ट के दखल के बावजूद टेलिकॉम सेक्टर की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं. एयरटेल ने समायोजित सकल आय (एजीआर) दूरसंचार मंत्रालय को चुकाने से इनकार कर दिया है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बकाया चुकाने के लिए 23 जनवरी 2020 अंतिम तारीख तय की थी. गौरतलब है कि वोडाफोन-आइडिया ने भी AGR को चुकाने से पहले ही मना कर दिया था. एयरटेल का कहना है कि वह सुप्रीम कोर्ट के आगामी फैसले का इंतजार कर रही है. बता दें कि वोडाफोन-आइडिया ने एजीआर के फैसले को संशोधित करने पर विचार के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. वोडाफोन-आइडिया ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही कंपनी कोई कदम उठाएगी.
दूरसंचार विभाग का एजीआर बकाया नहीं चुकाने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का फैसला
दूरसंचार विभाग ने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) के वैधानिक बकाये का तय समयसीमा के भीतर भुगतान नहीं करने वाली दूरसंचार कंपनियों के खिलाफ फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं करने का बुधवार को फैसला किया था. कंपनियों की ओर से उच्चतम न्यायालय में भुगतान समय सीमा बढ़ाने को लेकर दायर याचिका को देखते हुये विभाग ने यह निर्णय किया है. उच्चतम न्यायालय ने भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को एजीआर की मद में 88,264 करोड़ रुपये का पिछला बकाया 23 जनवरी तक की चुकाने की समयसीमा दी थी. यह समयसीमा बृहस्पतिवार को समाप्त हो गयी. न्यायालय ने 24 अक्टूबर के अपने आदेश में दूरसंचार कंपनियों की सकल आय में उनकी गैर-दूरसंचार आय की भी गणना करने के सरकार के पक्ष को सही ठहराया था. न्यायालय ने कंपनियों को ऐसी आय पर भी शुल्क एवं कर चुकाने का आदेश दिया.
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आधिकारिक सूत्रों के अनुसार भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने बकाये के भुगतान नहीं किये वहीं अरबपति मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस जियो ने वैधानिक बकाये की मद में 195 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया. इस बीच, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि गेल, ऑयल इंडिया और पावर ग्रिड जैसे सरकारी क्षेत्र के गैर-दूरसंचार उपक्रमों पर समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की मद में कोई बकाया नहीं बनता है. दूरसंचार विभाग द्वारा इन कंपनियों से एजीआर के तहत तीन लाख करोड़ रुपये बकाये की मांग करना वास्तव में ‘चीजों को समझने में गलतफहमी’ हो सकती है.
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उच्चतम न्यायालय में एजीआर को लेकर चले मामले में ऑयल इंडिया लि., पावर ग्रिड और गेल शामिल नहीं थीं. हालांकि, इन कंपनियों ने अब दूरसंचार विभाग का नोटिस मिलने के बाद उच्चतम न्यायालय में स्पष्टीकरण दिये जाने को लेकर याचिका दायर की हैं. न्यायालय के 24 अक्टूबर के आदेश के बाद दूरसंचार विभाग ने भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और 13 अन्य दूरसंचार कंपनियों से 1.47 लाख करोड़ रुपये की मांग की. (इनपुट भाषा)