देश में रिलायंस जियो के ग्राहकों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. economictimes की रिपोर्ट के अनुसार जुलाई 2018 तक रिलायंस जियो के ग्राहकों की कुल संख्या 227 मिलियन के आंकड़े को पार कर गई थी. फिलहाल JIO यूजर्स के लिए एक अच्छी खबर है. यदि रिलायंस जियो और रिलायंस कम्युनिकेशंस के बीच स्पेक्ट्रम डील फाइनल हो जाती है तो जियो के ग्राहकों को एक जबरदस्त सेवा मिलनी शुरू हो जाएगी.
हालांकि ये डील इतनी आसान नहीं है, क्योंकि सरकार ने इस डील पर फिलहाल रोक लगा रखी है. टेलिकॉम विशेषज्ञों की मानें तो आने वाले दिनों में रिलायंस जियो यूजर्स को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. ऐसी स्थिति में खास तौर पर दिल्ली, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के जियो यूजर्स को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
टेलिकॉम विशेषज्ञों ने कहा कि देश के ज्यादातर हिस्सों में जियो प्रीमियम 800 मेगाहर्ट्ज बैंड में पांच यूनिट्स के निरंतरता वाले स्पेक्ट्रम ब्लॉक बनाने के लिए अनिल अंबानी की कंपनी पर ही डिपेंडेंट है. इन हिस्सों में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसे बड़े टेलिकॉम मार्केट हैं. बता दें कि यही बैंड जियो की 4G LTE सर्विस के लिए काफी जरूरी हैं.
ऐनालिसिस मैसन (Analysys Mason) के पार्टनर और इंडिया एंड मिडल ईस्ट के प्रमुख रोहन धमीजा की मानें तो स्पेक्ट्रम ट्रेडिंग डील जल्द से जल्द पूरी हो जानी चाहिए. बता दें कि साल 2017 में ही स्पेक्ट्रम ट्रेडिंग अग्रीमेंट पर समझौता हुआ था. इसे मंजूरी मिलने के बाद अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस 4जी एयरवेव्स की 112.4 यूनिट्स मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो को बेच सकती है.
इसमें 800 मेगाहर्ट्ज बैंड वाले एलटीई स्पेक्ट्रम भी शामिल हैं. अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस ने इसे सिस्टेमा श्याम टेलिसर्विसेज से हुई डील में खरीदा था. इसका वैलिडिटी पीरियड खत्म होने में अभी समय भी बचा हुआ है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस पर अभी 46000 करोड़ रुपये का कर्ज है. लेकिन यह स्पेक्ट्रम बेचकर वे करीब 18000 करोड़ रुपये के कर्ज को कम कर सकते हैं.
Source : News Nation Bureau