Manesar Murder Case: (रिपोर्ट- राहुल डबास) गुड़गांव के नजदीक मानेसर में एक बहुत बड़ा गांव है, जिसका नाम है नाहरपुर कासन. यादव बहुल इस गांव में हजारों कामगार रहते हैं जो मानेसर की इंडस्ट्रियल एरिया आईएमटी में स्थित कंपनियों में काम कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. 45 वर्षीय रामकृपाल भी उन्हीं कामगारों में से एक थे, जो अब इस दुनिया में नहीं रहे. रामकृपाल बिहार के मोतिहारी जिले के रहने वाले थे, जो करीब डेढ़ महीना पहले ही नाहरपुर कासन गांव में रहने आए थे.
मकान मालिक को दिया था सिर्फ आधार कार्ड
रामकृपाल जब वहां रहने आया तो उसने मकान मालिक को सिर्फ अपना आधार कार्ड दिया था. उसके पार ना मोबाइल फोन था और ना ही इंटरनेट और सोशल मीडिया के इस्तेमाल के लिए आधुनिक उपकरण. यही नहीं उसके कमरे में ना टीवी थी और ना ही पंखा. वह रोजाना लोहे की फैक्ट्री में 12 घंटे काम करता. 8 घंटे की नींद के बाद वह बाकी समय पूजा पाठ में बिताता.
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देवी देवताओं और पूजा-पाठ में थी अटूट आस्था
रामकृपाल को देवी देवाताओं में और पूजा-पाठ में अटूट आस्था थी. रविवार सुबह करीब 10 बजे उसके कमरे से खून निकलता दिखाई दिया. ये देखकर वहां मौजूद लोगों ने मानेसर पुलिस को इसकी सूचना दी. पुलिस फॉरेंसिक टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गई. जहां रामकृपाल के शव के आसपास खून बिखरा पड़ा था. उसका शव कमरे में मौजूद भगवान की तस्वीर के सामने ही पड़ा हुआ था. रामकृपाल 45 वर्ष की उम्र में भी शादीशुदा नहीं था. उसके आसपास ना तो परिवार का कोई सदस्य रहता था और ना ही कोई रिश्तेदार. पुलिस ने मकान मालिक से उसके आधार की कॉपी लेकर मामले की जांच शुरू की है.
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क्या बोले मकान मालिक और पड़ोसी?
रामकृपाल के बारे में मकान मालिक ने कहा कि वह किसी पड़ोसी से भी बात नहीं करता था. मोबाइल फोन, इंटरनेट और टीवी से उसका कोई वास्ता नहीं था. पड़ोसियों ने भी बताया उससे हमारी कभी बात नहीं हुई. घटना के बाद पुलिस ने रामकृपाल के किराए के कमरे पर ताला लगा दिया है. मकान मालिक का कहना है कि रामकृपाल का व्यक्तित्व अंधविश्वास जैसा था.
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पुलिस को परिजनों का इंतजार
मानेसर थाना पुलिस को अभी भी रामकृपाल के परिवार के पहुंचने का इंतजार है. अभी तक शव के पोस्टमार्टम की प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई है. फिलहाल पुलिस मकान मालिक से मिले दस्तावेजों के आधार पर आत्महत्या समेत अन्य पहलुओं से जांच कर रही है.