समाज में अगर आप उनसे अलग दिखते हैं तो लोगों का नजरिया आपको लेकर बेहद अजीब हो जाता है. कई बार तो वो अपने तानों के जरिए आपको मार देते हैं. ऐसे ही तानों का शिकार हुआ 19 साल का अविंशु पटेल उर्फ अवि. एक होनहार युवक जो अब इस दुनिया में नहीं है. अविंशु पटले जो दिखने में हम जैसा तो था, लेकिन अंदर से उसके हाव-भाव हमसे जुदा था. वो समलैंगिक था. जी हां, वो एक समलैंगिक था जिसे भारतीय समाज में आज भी स्वीकारता नहीं मिली है.
अविंशु पटेल जो महाराष्ट्र के शहादा का रहने वाला था और घर से दूर चेन्नई में आकर नौकरी कर रहा था, ताकि अपने परिवारवालों की आर्थिक तंगी को दूर कर सके. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उसका समलैंगिक होना उसकी दुश्मन बन गई. अविंशु पटेल ने खुद को मारने से पहले अपनी दर्द भरी कहानी सोशल मीडिया पर सुनाई. जिसे पढ़कर आपको एक बार सोचना चाहिए की समलैंगिक होना कोई बीमारी या शौक नहीं है.
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अविंशु पटेल उर्फ अवि 2 जुलाई को फेसबुक पर दो पोस्ट डाले, एक अंग्रेजी में और दूसरा हिंदी में. दोनों पोस्ट अविंशु पटेल के सुसाइड से पहले का दर्द बया करती हैं. अवि ने पोस्ट में लिखा कि जिस तरह वो चलता है और बातचीत करता है...लोग उसे परेशान करते हैं और ताने मारते हैं. मैं एक लड़का हूं...लेकिन जिस तरह से मैं चलता हूं...सोचता हूं...और महसूस करता हूं...बात करता हूं यह एक लड़की की तरह है. मैं समलैंगिग हूं. भारत में रहने वाले लोग इसे पसंद नहीं करते हैं.
इसके आगे अवि ने लिखा, 'आपका बहुत-बहुत शुक्रिया. उनका भी जिन्होंने मुझे प्यार दिया. उनका भी, जिन्होंने मुझसे नफ़रत की. मैं समलैंगिक हूं. मेरा परिवार भी जानता है कि मैं बस लड़कों को पसंद करता हूं. मगर बाकी लोग मुझसे नफ़रत करते हैं. मैं कुणाल से प्यार करता था. वो ‘नॉर्मल’ है. उसकी शादी हो चुकी है. मैं प्यार का भूखा हूं, मगर सारे लोग मेरा बस इस्तेमाल करते हैं.'
अंग्रेजी में लिखे पोस्ट में तो अवि ने अपने परिवार की आर्थिक स्थिति का जिक्र करते हुए लोगों से मदद भी मांगी है. उसे पता था कि उसके जाने के बाद उसके परिवारवालों पर दुखों का पहाड़ टूट जाएगा, लेकिन आप सोचिए की वो किस कदर दुनिया के ताने सुन-सुनकर अंदर से टूट गया था कि सुसाइड जैसा कदम उठाया.
अवि ने पोस्ट पढ़ने वालों से परिवार का ख्याल रखने की भी अपील की. पोस्ट में लिखा है कि वो गरीब है और उसके कंपनी वाले बैंक खाते में बस 9 हजार रुपए हैं. लोगों से अपील करता है...प्लीज प्लीज, भगवान से प्रार्थना कीजिए कि वो मेरे स्तर का, मेरे टाइप का किसी को न पैदा करें.
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इस पोस्ट की अगली सुबह 19 साल के अवि का शव नीलकंरई समुद्र तट पर पाया गया. पुलिस ने अवि के शव को उसके माता-पिता के पास भेज दिया. लेकिन अवि अपने पीछे एक सवाल छोड़ गया कि उसकी क्या गलती थी...समलैंगिग होना क्या इतना बड़ा अपराध था. वो खुद को समलैंगिक नहीं हुआ, उसने समलैंगिगता खुद से तो नहीं चुनी, फिर क्यों समाज ने ताने मार-मारकर उसका जीना मुहाल कर दिया.
अवि जैसा था वो खुद इसके लिए जिम्मेदार नहीं था. उसके अंदर की भावनाएं प्राकृतिक थी. फिर ऐसे लोगों को हम आज भी क्यों नहीं अपना पाते हैं. अवि जैसे लोगों को देखने से पहले एक बार इसपर जरूर सोचिएगा.