जिस तरह कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, उसी तरह इस घातक वायरस को मात देने वाली दवाइयों की कालाबाजारी भी बढ़ गई है. ताजा मामला बिहार की राजधानी पटना से सामने आया है, जहां कोरोना मरीजों को दी जाने वाली दवा रेमडेसिविर की कालाबाजारी का पर्दाफाश हुआ है. आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए पटना के एसपी वर्मा रोड स्थित एक निजी अस्पताल में छापेमारी की. इस दौरान टीम ने अस्पताल के निदेशक और उसके साले को रेमडेसिविर दवा की कालाबाजी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है.
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यहां भेष बदलकर पहुंची ईओयू टीम
दरअसल, ईओयू को गुप्त सूचना मिली थी कि एसपी वर्मा रोड स्थित रेनबो इमरजेंसी अस्पताल से रेमडेसिविर दवा की कालाबाजारी हो रही है. सूचना के आधार पर टीम भेष बदलकर अस्पताल पहुंची. अस्पताल में मौजूद कर्मियों से दवा की डोज की जानकारी ली. अस्पातल के निदेशक डॉक्टर अशफाक अहमद ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह उनके मरीज को यह दवा उपलब्ध करा देगा लेकिन इसके लिए अधिक कीमत चुकानी होगी.
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इसके बाद ईओयू ने कोतवाली थाना और गांधी मैदान थाना के सहयोग से छापेमारी शुरू की. बताया जाता है कि अस्पताल परिसर में ही मौजूद एक दवा दुकान से कालाबाजारी की जाती थी. मिली जानकारी के अनुसार दवा दुकान के नाम पर रेमडेसिविर को अस्पताल से काफी अधिक कीमत पर बेचा जा रहा था.
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एक डोज के लाख रुपये वसूल रहा था अस्पताल
टीम को छापेमारी के दौरान अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनों से पूछताछ में पता चला कि एक डोज के लिए 1 लाख रुपये तक वसूला जाता था. गिरफ्तार आरोपियों ने पुलिसिया पूछताछ में कालाबाजारी की बात स्वीकारी है. पुलिस ने मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है. रेमेडीसीवीर के इंजेक्शन अस्पताल से बरामद भी हुए हैं.
HIGHLIGHTS
- रेमडेसिविर की कालाबाजारी का पर्दाफाश
- पटना में निजी अस्पताल पर EOU का छापा
- अस्पताल के डायरेक्टर सहित दो गिरफ्तार