18 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक 195 देशों के पुलिस प्रमुख और जांच एजेंसियों इंटरपोल की कांफ्रेंस होने जा रही है .इस कांफ्रेंस का उदेश्य आने वाले सालों में आपराधिक चुनौतियों का सामना करने के लिए आपसी सहयोग के साथ अपराध और अपराधियों पर नकेल कसी जाए. इंटरपोल की इस कांफ्रेंस में नार्को-टेररिज़्म, ड्रग सिंडिकेट, साइबर क्राइम, कुख्यात गैंगस्टर्स के ठिकानों और फ्रॉड से जुड़े अपराधियों और अपराध के पैटर्न पर न सिर्फ चर्चा होगी, बल्कि एक-दूसरे से साझा करने पर सहमति भी बनाने की कोशिश की जाएगी.
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आपको बता दें कि इस कांफ्रेंस से सभी देश एक-दूसरे से अपने-अपने देश की जांच कार्य प्रणाली को भी शेयर करेंगे, ताकि सभी को एक-दूसरे से कुछ ऐसी सीख मिले. जिससे दुनिया भर में फैले आपराधिक नेटवर्क को रोकने के लिए खुद को मजबूत किया जा सके. एक्सपर्ट का मानना है कि इंटरपोल की ये कांफ्रेंस भारत में साइबर क्राइम को रोकने में काफी हद तक कारगर साबित होगी. एक आंकडे के मुताबिक देश में रोजाना साइबर क्राइम से जुड़े लाखों मामले दर्ज होते हैं. समय-समय पर गृह मंत्रालय भी साइबर क्राइम को लेकर लोगों को अलर्ट करता रहता है.
भारत जब डिजिटल बैंकिंग और डिजिटल लेनदेन पर फोक्स कर रहा है ऐसे में इसको सुरक्षित बनाये रखने के लिए साइबर ठगों से बचाने के आवश्यकता है. जबकि साइबर क्राइम वैश्विक समस्या है, लेकिन भारत के डिजिटल बैंकिंग और डिजिटल लेनदेन के अभियान में बड़ी रूकावट भी है. ऐसे में दिल्ली में होने वाली इंटरपोल की यह कांफ्रेंस मील का पथर साबित हो सकती है और विश्व के देश जो इस कांफ्रेंस में शामिल हो रहे हैं साइबर क्राइम से बचाव के उपाय सुझायेंगे.
Source : Sayyed Aamir Husain