दूसरे राज्यों से रोजी-रोजी कमाने के लिए दिल्ली आने वाले गरीब युवाओं को झांसा देकर किडनी निकालकर बेचने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. दिल्ली पुलिस ने इस किडनी रैकेट में एक डॉक्टर समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें कुलदीप रे विश्वकर्मा, सर्वजीत जैलवाल, शैलेश पटेल, मोहम्मद लतीफ, विकास उर्फ विकास, रंजीत गुप्ता, डॉ सौरभ मित्तल, ओम प्रकाश शर्मा, मनोज तिवारी और झोलाछाप डॉ. सोनू रोहिल्ला शामिल हैं. ये रैकेट सोशल मीडिया के जरिए चलाया जा रहा था.
सोशल मीडिया के जरिए लोगों को फंसाता था ये रैकेट
सोशल मीडिया पर ऑर्गन डोनर्स के नाम से अलग-अलग पेज बनाए गए थे, जिस पर लोगों से संपर्क किया जाता था. इसके बाद आर्थिक हालात का पता लगा कर उनका ब्रेन वॉश करने करने के साथ ही पैसे का लालच देकर किडनी डोनर तैयार किया जाता था. किडनी ट्रांसप्लांट करने वाला डॉक्टर दिल्ली के एक बड़े अस्पताल से जुड़ा है, जिसके साथ उस अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर के तकनीशियन भी मिले हुए थे. ये सभी सोनीपत गोहाना में बने एक नर्सिंग होम में ट्रांसप्लांट किया करते थे. जांच में 2 पैथ लैब एएस हेल्थ स्क्वायर और दिल्ली इंस्टीट्यूट ऑफ फंक्शनल इमेजिंग का नाम भी सामने आया है.
सूचना मिलने पर हौजखास पुलिस ने लिया एक्शन
दरअसल, हौजखास पुलिस को सूचना मिली थी कि हौजखास से किडनी ट्रांसप्लांट से जुड़ा एक रैकेट चलाया जा रहा है. हौज खास की एक पैथ लैब में किडनी डोनर्स के टेस्ट करवाए जाते हैं. जांच में पुलिस को इसी रैकेट के झांसे में आया एक युवक मिला, जिसे पैथ लैब लाया गया था. उसे कहा गया था कि उसके पेट की जांच होनी है, लेकिन उसे कुछ शक हुआ और झगड़ा हो गया. पुलिस ने फौरन मामला दर्ज कर जांच शुरू की.
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पुलिस ने रैकेट के चंगुल से तीन लोगों को कराया मुक्त
इस बीच सर्वजीत नाम के शख्स को पकड़ा गया, जिसके बाद पुलिस को पता चला कि पश्चिम विहार इलाके में एक फ्लैट में कुछ लोगों को रखा गया है, जिनकी किडनी ली जानी है. छापेमारी के बाद वहां से शैलेश नाम के शख्स के चंगुल से 3 लोगों को मुक्त कराया गया. उनके मेडिकल जांच के दस्तावेज भी मिले, जो किडनी ट्रांसप्लांट से जुड़े थे. शैलेश की निशानदेही पर विकास उर्फ बिकास और विपिन उर्फ अभिषेक को पकड़ा गया.
सोनीपत के गोहाना में एक नर्सिंग होम में निकाली जाती थी किडनी
जांच में पता चला कि ये गैंग सोनीपत के गोहाना में एक नर्सिंग होम में किडनी ट्रांसप्लांट करता था. ये नर्सिंग होम डॉ. सोनू रोहिल्ला का है. यहां ट्रांसप्लांट सर्जरी का काम डॉ. सौरभ मित्तल अपनी ओटी तकनीशियन की टीम कुलदीप रे विश्वकर्मा, ओम प्रकाश शर्मा और मनोज तिवारी के साथ करता था. पुलिस के मुताबिक कुलदीप इस रैकेट का मास्टरमाइंड है. उसने ही सोनू रोहिल्ला के साथ मिलकर साजिश रची और डॉ सौरभ मित्तल को अपने साथ मिलाया.
टीम के हर सदस्य को मिली हुई थी अलग-अलग जानकारी
जांच में सामने आया कि ये रैकेट फेसबुक के जरिए चलाया जा रहा था. शैलेश पटेल फेसबुक पर किडनी डोनर या फिर ऑर्गन डोनर के नाम से पेज बनाता था, जिसपर किडनी की जरूरत वाले लोगों के अलावा किडनी दान देने वाले लोग भी शामिल होते थे. शैलेश पटेल इन लोगों में से ऐसे व्यक्तियों की पहचान करता था, जो आर्थिक तौर पर कमजोर होते थे, फिर उन्हें बहाने से दिल्ली बुलाया जाता. यहां उनका ब्रेन वॉश कर किडनी बेचने के लिए तैयार किया जाता था. गोहाना के नर्सिंग होम में डॉक्टर सौरव मित्तल अपने तकनीशियनों के साथ मिलकर ट्रांसप्लांट की सर्जरी करता था. इस रैकेट के हर सदस्य को जिम्मेदारी बंटी हुई थी. किसी को किडनी डोनर की तलाश का काम दिया गया था तो किसी को डोनर के मेडिकल टेस्ट करवाने की और किसी सदस्य को किडनी डोनर के ठहरने की जिम्मेदारी दी गई थी. वहीं, कुछ लोग किडनी खरीदने वाले व्यक्ति से संपर्क करता और उसके साथ सौदा तय करता था.
गिरोह 20 लोगों की निकाल चुका है किडनी
पुलिस के मुताबिक गिरोह किडनी लेने से पहले यह सुनिश्चित कर लेता कि किडनी देने वाले की उम्र 20 से 30 साल के बीच ही हो. पुलिस के मुताबिक ये गिरोह अब तक 20 किडनी ट्रांसप्लांट करवा चुका है अभी तक 4 लोग पुलिस को मिले हैं, जो किडनी डोनेट करने वाले थे. ये लोग असम, केरल, पश्चिम बंगाल और गुजरात से बताए जा रहे हैं. ये सभी लोग आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बताए जा रहे हैं. वहीं, इस मामले में पुलिस की जांच अभी जारी है.
HIGHLIGHTS
- पूरी टीम बनाकर वारदात को देते थे अंजाम
- रैकेट में अस्पताल और डॉक्टर भी हैं शामिल
- गरीबों को लालच देकर बनाते थे अपना शिकार