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धनीराम मित्तल का हार्ट अटैक से निधन, 'सुपर नटवरलाल' के हैरान कर देने वाले मामले, फर्जी जज बनकर सुनाए थे कई फैसले 

‘इंडियन चार्ल्स शोभराज’ उर्फ धनीराम मित्तल का 85 की उम्र में हार्ट अटैक से निधन हो गया, कभी फर्जी दस्तावेजों के दम रेलवे में पाई थी नौकरी

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Mohit Saxena
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Dhani Ram Mittal

Dhani Ram Mittal( Photo Credit : social media)

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‘सुपर नटवरलाल’ उर्फ ‘इंडियन चार्ल्स शोभराज’ उर्फ धनीराम मित्तल का 85 की उम्र में हार्ट अटैक से निधन हो गया. उसे सबसे चलाक और बुद्धिमान अपराधियों में माना जाता था. कानून से स्नातक की डिग्री होने के बाद भी मित्तल ने अपराध का रास्ता चुना था. सामने वाले को अपनी बातों में उलझाना और फिर अपनी चालबाजियों में फंसना मित्तल के लिए बाए हाथ का खेल था. हूबहू किसी के दस्तख्त करना और किसी के समाने खास श​ख्सियत बन जाना उसके अपराध में शामिल था. धनीराम का जन्म हरियाणा के भिवानी में 1939 को हुआ. ऐसा माना जाता है कि उसने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, चंडीगढ़ और पंजाब जैसे कई राज्यों से 1000 से अधिक कारों को चुराया था. वह इतना शातिर था कि उसने खास तौर से दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और आसपास के क्षेत्र में दिनदहाड़े कई चोरियों को अंजाम दिया है. 

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फर्जी दस्तावेजों को दिखाकर रेलवे में पाई नौकरी 

हूबहू दस्तख्त करने में माहिर धनीराम मित्तल पर करीब 150 मामले दर्ज थे. उसने लॉ की डिग्री हासिल की थी. वह अपने मुकदमों की खुद ही पैरवी करता था. उसने फर्जी दस्तावेजों के जरिए रेलवे में नौकरी पाई थी. वर्ष 1968 से 74 के बीच स्टेशन मास्टर के पद पर भी काम किया. हद तब हुई जब वह एक फर्जी चिट्ठी की सहायता से खुद ही जज बन गया. करीब 2270 आरोपियों को जमानत दे दी. 

इस तरह से बन बैठा जज 

70 के दशक के आसपास एक अखबार में झज्जर के एडिशनल जज के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश की खबर सामने आई थी. इसे देख धनीराम ने चालबाजी की. उसने कोर्ट परिसर में जाकर इसकी पूरी जानकारी ली. इसके बाद एक पत्र को टाइप कर सीलबंद लिफाफे में यहां पर रख दिया. उसने लोगों की नजर बचाकर चिट्ठी पर हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार की फर्जी स्टैंप लगाई. इसके बाद साइन किए. बाद में विभागीय जांच वाले जज के नाम पर इस पत्र को पोस्ट कर दिया. इस लेटर में जज को दो माह की छुट्टी पर भेजने का आदेश दिया गया. इस पत्र को जज ने सही समझ लिया और छुट्टी पर निकल गए.

हजारों के केस का निपटारा कर डाला

अगले ही दिन उसी अदालत में हरियाणा हाईकोर्ट के नाम पर एक और सीलबंद लिफाफा सामने आया. इसमें उस जज के 2 माह छुट्टी पर रहने के वक्त उनका काम देखने के लिए नए जज की नियु​क्ती के आदेश दिए गए थे. यहां पर धनीराम खुद ही जज बनकर अदालत में पहुंच गए. इसको कोर्ट के स्टाफ ने भी सच मान लिया. यहां पर उसकी लॉ की डिग्री काम आई. इस दौरान उसने 40 दिन यहां पर मामले की सुनवाई की.

हजारों केस का निपटारा कर डाला. करीब 2740 आरोपियों को जमानत दे दी गई.  ऐसा कहा जाता है कि धनी राम मित्तल ने फर्जी जज बनकर अपने खिलाफ मामले की खुद ही सुनवाई कर डाली. इसके बाद खुद को बरी भी कर दिया. इससे दौरान कुछ अधिकारियों को शक भी हुआ. मगर इससे पहले वे कुछ समझ पाते धनीराम मित्तल यहां से निकल चुका था. बाद में जिन अपराधियों को रिहा किया गया था या जमानत दी गई थी, उन्हें दोबारा से खोजा और पकड़कर जेल में डाला गया. 

Source : News Nation Bureau

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