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Digital Arrest: देश में तेजी से बढ़े रहे 'डिजिटल अरेस्ट' के मामले, साइबर ठग ऐसे बना रहे शिकार

Digital Arrest: डिजिटल अरेस्ट  से बचने के लिए, किसी भी को अपनी व्यक्तिगत जानकारी, जैसे कि सोशल सिक्योरिटी नंबर, बैंक खाता संख्या या पासवर्ड, ऑनलाइन न दें

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Mohit Sharma
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Digital Arrest

Digital Arrest( Photo Credit : News Nation)

Digital Arrest: रेलवे के रिटायर जीएम को 24 घंटो तक डिजिटल अरेस्ट कर दाऊद से सम्बन्ध और मनी लांड्रिंग केस में फसाने के नाम पर 52 लाख ठगे लिए. वीडियो कॉल पर मौजूद साइबर ठग पुलिस की वर्दी मे मौजूद थे. साइबर जलसाजों ने रेलवे जीएम को सोने तक नहीं दिया. ताईबान भेजे जाने वाले कोरियर मे ड्रग्स, 4 पासपोर्ट, तीन क्रेडिट कार्ड और कुछ कपडे होने और दाऊद इब्राहिम से संबंध होने और मनी लांड्रिंग केस में फसाने की धमकी देकर ये ठगी की गयी. 

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सेक्टर 76 निवासी प्रमोद कुमार ने साइबर क्राइम थाने मे FIR दर्ज कराई है. डिजिटल अरेस्ट के मामले नोएडा में लगातार बढ़ते जा रहे हैं. डिजिटल अरेस्ट कर ठगी के मामलों में इजाफा हुआ है. रिटायर अधिकारियों, डाक्टरों और इंजीनियरों को ये ठग अपना निशाना बना रहे हैं. इस साल अभी तक 6 लोगों को साइबर ठगों ने निशाना बनाया है. सभी 6 लोगों से एक करोड़ 70 लाख ठगे जो चुके हैं. ये आरोपी खुद को पुलिस और इनकम टेक्स अधिकारी बता कर ठगी करते हैं. 

अब तक कितने मामले सामने आए 

  • -फरवरी मे युवती को डिजिटल अरेस्ट कर 11 लाख की ठगी की. 
  • -मार्च मे महिला इंजीनियर को 8 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर 3.75 लाख ठगे. 
  • -अप्रैल मे बहुराष्ट्रीय कंपनी के सीनियर अधिकारी को मनी लोडिंग केस में फसाने के नाम पर 22 लाख की ठगी की.
  • -10 मई मे महिला डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर 45 लाख रुपये ठगे.
  • -14 मई को सेवानिवृत मेजर जनरल को डिजिटल अरेस्ट पर 37 लाख ठगे. 
  • -15 मई को सेवानिवृत  रेलवे जीएम को 24 घंटो तक डिजिटल अरेस्ट कर 52 लाख ठगे.
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डिजिटल अरेस्ट क्या है?

डिजिटल अरेस्ट, जिसे साइबर अपराधियों द्वारा ऑनलाइन धोखाधड़ी के लिए भी जाना जाता है,  एक नया और खतरनाक अपराध है.  इसमें, अपराधी सोशल मीडिया, ईमेल या मैसेजिंग ऐप्स जैसे डिजिटल प्लेटफार्मों का उपयोग करके पीड़ितों को धोखा देते हैं और उनकी व्यक्तिगत जानकारी या पैसे चुरा लेते हैं.

डिजिटल अरेस्ट कैसे होता है?

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फर्जी सरकारी अधिकारियों का रूप धारण करना: अपराधी कानून प्रवर्तन अधिकारियों, सीबीआई अधिकारियों या बैंक कर्मचारियों का रूप धारण कर सकते हैं. वे पीड़ितों को डरा सकते हैं कि वे अपराध में शामिल हैं और उनकी व्यक्तिगत जानकारी या पैसे मांग सकते हैं.

सोशल मीडिया पर फेक प्रोफाइल बनाना: अपराधी सोशल मीडिया पर फेक प्रोफाइल बना सकते हैं और पीड़ितों से दोस्ती कर सकते हैं. विश्वास बनाने के बाद, वे उनसे पैसे मांग सकते हैं या उनकी व्यक्तिगत जानकारी चुरा सकते हैं.

फिशिंग घोटाले: अपराधी ईमेल या टेक्स्ट संदेश भेज सकते हैं जो प्रतिष्ठित संस्थानों से वास्तविक दिखते हैं. इन संदेशों में, वे पीड़ितों को लिंक पर क्लिक करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं जो उनकी व्यक्तिगत जानकारी चुराने वाली वेबसाइटों पर ले जाते हैं.

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रैंसमवेयर हमले: अपराधी पीड़ितों के कंप्यूटरों में मैलवेयर डाल सकते हैं जो उनकी फाइलों को एन्क्रिप्ट कर देता है. फिर, वे फाइलों को डिक्रिप्ट करने के लिए पैसे की मांग करते हैं.

डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें?

डिजिटल अरेस्ट  से बचने के लिए, किसी भी को अपनी व्यक्तिगत जानकारी, जैसे कि सोशल सिक्योरिटी नंबर, बैंक खाता संख्या या पासवर्ड, ऑनलाइन न दें. अपने सभी ऑनलाइन खातों के लिए मजबूत और अद्वितीय पासवर्ड का उपयोग करें. किसी भी संदिग्ध ईमेल, टेक्स्ट संदेश या सोशल मीडिया पोस्ट में लिंक या संलग्नक पर क्लिक न करें. अपने ऑपरेटिंग सिस्टम और सभी सॉफ़्टवेयर को नवीनतम पैच के साथ अपडेट रखें. अपने कंप्यूटर पर एंटी-वायरस और एंटी-मैलवेयर सॉफ़्टवेयर स्थापित करें और नियमित रूप से स्कैन करें. सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क का उपयोग करते समय सावधान रहें.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

Source : News Nation Bureau

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