दिल्ली निवासी राजीव पवार ने दक्षिण दिल्ली स्थित अपने घर में बतौर किरायेदार रहने वाली अमेरिकन महिला से डिजिटल रेप (Digital Rape) किया. जब कोई शख्स अपनी उंगली या उंगलियों का इस्तेमाल करते हुए किसी से दुष्कर्म करता है तो इसे ‘डिजिटल रेप (Digital Rape)’ कहते हैं. इस मामले में निचली अदालत से सात साल की सजा पाए दोषी राजीव पंवार को दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जमानत देने और सजा पर रोक लगाए जाने के बाद पीड़िता ने आरोप लगाया कि भारत में उसे किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली थी.
मामला 2013 का है. पीड़िता दोषी राजीव पंवार के दक्षिण दिल्ली स्थित घर में बतौर किरायेदार थी. इस घर में अमेरिकी नागरिक का राजेश ने यौन उत्पीड़न किया. उस समय यह अमेरिकी महिला अपने पति के साथ रह रही थी. पीड़िता ने जून 2013 में राजेश के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. निचली अदालत ने फरवरी 2019 में आरोपी को दोषी मानते हुए उसे सात साल कैद की सजा सुनाई थी.
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निचली अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद राजेश पवार ने इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. इसके बाद उच्च न्यायालय ने 25 हजार रुपये का निजी मुचलका भरने पर 5 जुलाई को उसे जमानत दे दी थी.
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उच्च न्यायालय के आदेश से व्यथित महिला ने सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास के सामने एक वीडियो बनाया. वीडियो में महिला ने कहा, “पिछले महीने मुझे बताया गया कि जिस व्यक्ति ने मुझ पर हमला किया, जिसे उसके अपराध की सजा दिलाने के लिये मुझे लड़ना पड़ा और उसे भारत में सजा मिली, उसे याचिका के बाद जमानत दे दी गई है. उसने 2013 में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना का विवरण दिया और कहा, "आप सजा पाए हुए अपराधियों को जमानत नहीं देते हैं."