पूर्वोत्तर दिल्ली की मंडोली जेल से कथित तौर पर चलाए जा रहे एक उगाही (जबरन वसूली) रैकेट का दिल्ली पुलिस ने भंडाफोड़ किया है और इस सिलसिले में जेल के 50 वर्षीय मुख्य जेल वार्डन सहित पांच को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने कहा कि नंदू गैंग का एक सक्रिय सदस्य जो जबरन वसूली कर धंधे में शामिल होने के कारण कुख्यात है, उसकी पहचान विकास के रूप में हुई है जो रैकेट का मास्टरमाइंड है और कथित तौर पर जेल से इसका संचालन करता है, जहां वह वर्तमान में बंद है.
जहां मुख्य वार्डन की पहचान राजेंद्र सिंह के रूप में की गई है, वहीं अन्य चार आरोपी जगमोहन (23), विकास (28), प्रमोद कुमार (30) और हनी राजपाल (35) हैं. प्रमोद, जो न्यायिक हिरासत में था, को हाल ही में अंतरिम जमानत मिली थी, जबकि राजपाल हत्या के आरोप में जेल में बंद हैं. पूछताछ के दौरान, प्रमोद ने कबूला कि जेल में उसकी मुलाकात राजपाल से हुई, जो इस समय एक हत्या के मामले में मंडोली जेल में है.
जब उसे अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया, तो राजपाल ने प्रमोद को जेल में 10 सिम कार्ड देने और मुख्य वार्डन राजेंद्र के माध्यम से जेल भेजने के लिए बुलाया, जिसके लिए उसे 2000 रुपये प्रति सिम देने का वादा किया गया था. द्वारका के डीसीप एन्टो अल्फोंस ने कहा, इस पर, उसने अपने नाम पर 4 सिम जारी कराए और अपने भाई जगमोहन के नाम पर 6 सिम जारी कराए और अलग-अलग मौकों पर मुख्य वार्डन राजेंद्र को मंडोली जेल और खजुरी खास चौक पर सौंप दिया.
जांच के दौरान, सिम कार्ड डीलरों की जांच की गई, उनका रिकॉर्ड चेक किया गया और 50 वर्षीय आरोपी राजेन्द्र सिंह को गिरफ्तार किया गया. उसके खुलासे और व्हाट्सएप चैट के आधार पर, टीम ने दिल्ली के गांव बक्करवाला निवासी हनी राजपाल और इस रैकेट के मास्टरमाइंड विकास उर्फ पीके को गिरफ्तार कर लिया.
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Source : IANS