राजस्थान के प्रतापगढ़ में पुलिस ने गैस एजेंसी के नाम पर ठगी करने वाले स्थानीय व्यापारी को गिरफ्तार किया है. आरोपी पर 38 लाख की ठगी का करने का आरोप है. पुलिस ने उसे रोहतक जेल से प्रोडक्शन वारंट के तहत गिरफ्तार किया है. आरोपी को पुलिस ने न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे तीन दिन के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया गया है. पांच साल पहले 22 फरवरी 2014 को शहर के शब्बीर हुसैन बोहरा ने पुलिस को रिपोर्ट देकर बताया था कि 11 जनों ने गैस एजेंसी के नाम पर उसके साथ धोखाधड़ी करते हुए 38 लाख रुपए वसूल कर लिए हैं. इस मामले में पुलिस ने नौ आरोपियों को पूर्व में गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन मुख्य आरोपी दिलीप कुमार वर्मा, लखनऊ, थाना गाजीपुर, उत्तर प्रदेश फरार चल रहा था.
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पुलिस ने विशेष दल गठित करते हुए आरोपी की तलाश में कई राज्यों में दबिश दी, लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी. दस दिन पूर्व आरोपी के रोहतक जेल में होने की सूचना मिलने पर पुलिस ने प्रोडक्शन वारंट के तहत आरोपी दिलीप कुमार वर्मा को रोहतक जिला जेल से गिरफ्तार कर लिया.आरोपियों ने गैस डीलरशिप के विज्ञापन पूरे देश भर में प्रकाशित करवाते हुए कई जिला मुख्यालयों पर डीलरशिप जारी की थी.
डीलरशिप के नाम सहित गैस सिलैंडरों की एवज में आरोपियों ने राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश सहित एक दर्जन से ज्यादा राज्यों में कई करोड़ रुपए का फर्जीवाड़ा किया है. पुलिस ने करीब 1500 करोड की ठगी का अंदेशा जताया है. आरोपियों के खिलाफ देश भर के अलग-अलग थानों में धोखाधड़ी के 102 मामले दर्ज हैं.
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पीड़ित शब्बीर बोहरा ने बताया कि पांच वर्ष पूर्व प्राची गैस बाटलिंग प्राइवेट लिमिटेड ने प्रदेश के सभी प्रमुख समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित कर जिला मुख्यालय पर अपने डीलर बनाने के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे. विज्ञापन देखने के बाद पीड़ित ने भी अपनी रुचि दिखाते हुए विज्ञापन के साथ दिए मोबाइल नंबर पर संपर्क किया तो कंपनी के अधिकारी अजय कुमार तिवारी ने उसे 2500 का डीडी बना कर भेजने के बाद आवेदन पत्र देने की जानकारी दी साथ ही प्रलोभन दिया कि अभी तक जिले से कोई आवेदन नहीं आया है.
जानकारी मिलने पर पीड़ित खुद मुंबई कार्यालय पहुंचा, जहां एक और अधिकारी खुशी कुमारी से मुलाकात हुई. उसने डीलरशिप लायसैंस की फीस 2 लाख रुपए और सिक्यूरिटी राशि 8 लाख रुपए अलग से जमा करवाने की बात कही. उसने कनेक्शन चार्ज 3500 रुपए, रिफिलिंग चार्ज 385 रुपए होने के साथ ही सरकार के तयशुदा नियमों के अनुसार सब्सिडी होने की बात कही. पीड़ित ने आवेदन पत्र लेने के साथ ही औपचारिकताओं को पूर्ण कर आवेदन कर लिया. पीड़ित ने कंपनी को करीब पैंसठ लाख रुपए जमा करवा दिए थे.