रविवार होने के बावजूद हाथरस में सीबीआई की जांच व्यवस्थाओं से भरपूर रही. यहां सुबह 11:00 बजे के करीब गांव के बाहर रहने वाले युवक को पूछताछ के लिए बुलाया गया. सूत्रों के मुताबिक ये युवक उसी कंपनी में काम करता है, जहां एक आरोपी भी काम करता है उससे पूछताछ में सवाल भी पूछे गए कि आरोपी का व्यवहार कंपनी में कहता है और 14 सितंबर को आरोपी कंपनी आया था या नहीं.
इसके तुरंत बाद करीब 12:00 बजे निर्भया के गांव में रहने वाले प्रत्यक्षदर्शी छोटू को बुलाया गया. छोटू से शुक्रवार को भी गहन पूछताछ की गई थी, जिसके बाद छोटू ने कहा था कि मैंने बताया कि 14 सितंबर मौका ए वारदात पर पीड़िता के पास पीड़िता की मां के साथ पीड़िता के भाई भी पहुंचे थे, लेकिन बाद में काफी देर के लिए पीड़िता के भाई गायब हो गए थे. इसी के आधार पर शनिवार को सीबीआई की टीम मौका ए वारदात पर पहुंची और छोटू के बयान को आधार बनाकर पीड़िता की भाभी और मां से पूछताछ की गई, हालांकि अब छोटू से कुछ दस्तावेज और उसकी नौकरी के बारे में ही पूछा गया था.
दोपहर करीब 1:00 बजे के आसपास सीबीआई के कैंप कार्यालय विशेषज्ञों की टीम पहुंची, जिसमें साइबर एक्सपर्ट और फॉरेंसिक एक्सपर्ट शामिल रहे. यानी आरोपी और पीड़ित पक्ष के बीच कौन-कौन से लेकर मौका ए वारदात पर मिले साक्ष्यों को एक सूत्र में पिरोने की कोशिश की गई.
दोपहर करीब 2:00 बजे हाथरस के दो फार्मेसिस्ट को भी बुलाया गया, जो उस मेडिकल स्टाफ का हिस्सा बताए जा रहे हैं, जिन्होंने 14 सितंबर को हुई वारदात के बाद पीड़िता का प्राथमिक उपचार किया. करीब घंटे भर चली पूछताछ के बाद सीबीआई ने दोनों मेडिकल स्टाफ को जाने दिया.
रविवार के घटनाक्रम से दो बातें साफ हो गई है. पहला छोटू अपने बयान पर कायम है और उसका बयान पीड़ित परिवार के द्वारा दी गई गवाही पर ना सिर्फ शक पैदा करता है बल्कि इस केस की जांच को नया मोड़ भी दे सकता है. दूसरा हाथरस मैं पीड़िता को प्राथमिक उपचार देने वाले मेडिकल स्टाफ से पूछताछ में सीबीआई की जांच इस पहलू पर भी विचार कर रही है की प्राथमिक जांच की समय पीड़िता की हालत कैसी थी और कैसे उसका इलाज हाथरस अलीगढ़ और दिल्ली में किया गया कहीं उसमें कोई लापरवाही तो नहीं.
Source : News Nation Bureau