हाथरस गैंगरेप मामले में स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए चार आरोपियों में से सिर्फ 1 आरोपी को दोषी पाया है. हालांकि, किसी पर गैंगरेप का आरोप सिद्ध नहीं हुआ है. कोर्ट ने तीन आरोपियों को बरी कर दिया. वहीं, दोषी संदीप ठाकुर पर गैर इरादतन हत्या और SC/ST एक्ट में दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने दोषी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट का यह फैसला ढाई साल बाद आया है. पीड़ित पक्ष ने कोर्ट के फैसले पर सवाल खड़ा किया है. पीड़ित पक्ष के वकील ने एससी/एसटी कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने की बात कही है.
गुरुवार की सुबह पुलिस ने चारों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया. फैसले के दिन को देखते हुए कोर्ट में सुरक्षा चाक चौबंद थी. कोर्ट ने 4 आरोपियों पर सुनवाई की. इसमें किसी पर भी गैंगरेप का आरोप सिद्ध नहीं हुआ है.अदालत ने सिर्फ संदीप ठाकुर को एससी-एसटी एक्ट और गैर इरादतन हत्या करने के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई है.
ढाई साल पहले हुआ था हाथरस गैंगरेप मामला
हाथरस के चंदपा क्षेत्र के एक गांव में 14 सितंबर 2020 को दलित युवती के साथ गैंगरेप की घटना सामने आई थी. गांव के चार युवकों पर युवती के साथ गैंगरेप करने और हत्या करने का आरोप लगा था. पीड़ित के परिजनों ने संदीप ठाकुर के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. 26 सितंबर को पुलिस ने युवती का बयान लिया था. बयान के आधार पर तीन अन्य युवकों को आरोपी बनाया गया था. इसमें लवकुश सिंह, रामू सिंह और रवि सिंह शामिल था. जिसके बाद पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था. जहां कोर्ट ने सभी को जेल भेज दिया था.
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पुलिस ने बिना अनुमति लिए शव का किया था अंतिम संस्कार
गैंगरेप के बाद आरोपियों ने पीड़ित की जुबान भी काट दी गई थी. गंभीर हालत में पीड़ित को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां स्थिति बिगड़ने पर अलीगढ़ के जेएन मेडिकल अस्पताल में दाखिला कराया गया. बेहतर इलाज के लिए 28 सितंबर को उसे दिल्ली स्थित सफदरजंग में लाया गया, लेकिन 29 सितंबर को पीड़िता ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था. दिल्ली से जब शव हाथरस लाया गया, तो पुलिस ने बिना परिजन की अनुमति लिए रातोंरात शव का अंतिम संस्कार कर दिया था.
11 अक्टूबर को सीबीआई ने शुरू की थी जांच
पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हुए थे. लोगों ने पुलिस के खिलाफ जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किया था. मामला तूल पकड़ने पर प्रदेश सरकार ने एसपी और सीओ सहित पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया था. इसके बाद 11 अक्टूबर को मामले की जांच CBI को सौंप दी.
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कोर्ट में गवाहों ने गैंगरेप पर नहीं दिया था बयान
सीबीआई ने 67 दिन की जांच में 104 लोगों को गवाह बनाया था. इनमें से 35 लोगों की गवाही हो पायी थी. सीबीआई ने 18 दिसंबर 2020 को चारों आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी. कोर्ट में गवाहों के बयान से गैंगरेप की पुष्टि नहीं हुई थी. किसी भी गवाह ने गैंगरेप होने के बारे में नहीं कहा. इसपर कोर्ट ने संदीप ठाकुर के खिलाफ गैर इरादतन हत्या और एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाया. साथ ही 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया. पीड़ित पक्ष के वकील महिपाल सिंह ने बताया कि कोर्ट ने एक आरोपी को दोषी माना है, जबकि तीन आरोपियों को बरी कर दिया है. कोर्ट के फैसले की कॉपी आने के बाद पता चलेगा कि तीनों आरोपियों को किस आधार पर बरी किया गया है. हम कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे.