कर्नाटक के लिंगायत समुदाय के प्रभावशाली मठों में से एक श्री जगद्गुरु मुरुगा राजेंद्र बृहान मठ के मठाधीश शिवामूर्ति मुरुग शरनारू को चित्रदुर्गा पुलिस ने गुरुवार को उनके मठ से ही गिरफ्तार कर लिया है. मुरुग शरनारू दो नाबालिग लड़कियों के साथ यौन शौषण करने का आरोप है. इस मामले को लेकर पुलिस ने उनके खिलाफ पोक्सो एक्ट के तहत 26 अगस्त को मुकदमा दर्ज किया था, लेकिन अभी तक उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई थी. इस वजह से पुलिस की कार्रवाई को लेकर काफी सवाल उठाए जा रहे थे और आरोप लगाए जा रहे थे कि पुलिस राजनीतिक दबाव के चलते मुरुग शरनारू के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है. 1991 में शिवमूर्ति मुरुग शरनारू इस मठ के मठाधीश बने. इस मामले में मठाधीश शिवमूर्ति मुरुग शरनारू सहित चार लोगों को आरोपी बनाया गया, जिसमें एक महिला हॉस्टल की वार्डन भी शामिल है.
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जानें क्या है पूरा मामला
दरअसल, 26 अगस्त को कर्नाटक के म्यसुरू शहर के नजराबाद पुलिस थाने में एक सामाज सेवी संगठन ओडानाडी की मदद से दो नाबालिग लड़कियों ने मठाधीश शिवमूर्ति मुरुग शरनारू के खिलाफ शिकायत की और कहा कि मुरुग शरनारू पिछले साढ़े तीन साल से उनका यौन शौषण कर रहा था, लेकिन वो काफी प्रभावशाली थे, लिहाजा वो इसके बारे में किसी को बता नहीं पा रही थीं. ये दोनों छात्र इस मठ के एक स्कूल में पढ़ाई करती थी और मठ के ही गर्ल्स हॉस्टल में रहती थी. आखिरकार पीड़िता 24 जुलाई को मठ के हॉस्टल से किसी तरह भागने में सफल हुई और तकरीबन एक महीने बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, क्योंकि मामला चित्रदुर्गा जिले का था. लिहाजा म्यसुरु पुलिस ने जीरो एफआईआर दर्ज करके मामले को चित्रदुर्गा पुलिस को ट्रांसफर कर दिया. चित्रदुर्गा पुलिस ने पोक्सो एक्ट के तहत मठाधीश समेत 4 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया और पीड़ित लड़कियों का बयान दर्ज किया. इसके बाद भी पुलिस ने शिवमूर्ति मुरुग शरनारू के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. एफआईआर दाखिल होने के बाद शिवमूर्ति मुरुग शरनारू ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि उन पर लगे आरोप बेबुनियाद और गलत है.
मठाधीश शिवमूर्ति मुरुग शरनारू ने मठ के पूर्व एडमिस्ट्रेटर पर फर्जी केस दर्ज कराने के लगाए आरोप
मठाधीश शिवमूर्ति मुरुग शरनारू मामला दर्ज होने के बाद मठ के गर्ल्स हॉस्टल की वार्डन ने पुलिस में मठ के पूर्व एडमिस्ट्रेटर बसवराजन पर बलात्कार और अपहरण की शिकायत की, जिसके बाद पुलिस ने आईपीसी की धारा सेक्शन 354(A),504, 506, 363, & u/s 120(B) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. बताया जा रहा है कि शिवमूर्ति मुरुग शरनारू और बसवराजन एक ही गांव के रहने वाले थे और एक ही साथ उन्होंने इस मठ में दाखिला लिया था. काफी सालों तक मठ में काम करने के बाद जब मठ का मठाधीश चुनने का समय आया था तो बसवराजन को ही मठाधीश बनाया जाना था, लेकिन वे किसी कारण वश मठाधीश नहीं बन पाए और शिवमूर्ति मुरुग शरनारू को मठाधीश बनने का मौका मिला गया. लेकिन शिवमूर्ति मुरुग शरनारू ने कुछ समय बाद बसवराजन को मठ का एडमिस्ट्रेटर बनाया, लेकिन 2007 में बसवराजन को इस पद से हटा दिया गया, क्योंकि उनके ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. हालांकि, 15 साल बाद इसी साल एक बार फिर शिवमूर्ति मुरुग शरनारू ने बसवराजन को मठ में वापस लिया. उन्होंने ऐसा क्यों किया? यह किसी को मालूम नहीं है. बताया जा रहा है कि इस बार बसवराजन के पास पहले की तरह अधिकार नहीं थे, जिस वजह से वो खुश नहीं थे और जुलाई में बसवाराजन और उनकी पत्नी ने एक बार फिर मठ छोड़ दिया.
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कब बना है यह मठ
श्री जगद्गुरु मुरुग राजेंद्र बृहान मठ को 12वीं शताब्दी में बसवा अलमादी शरनारू शुरू किया था. लिंगायत समुदाय कर्नाटक में राजनीतिक तौर पर एक प्रभावशाली समुदाय है. मौजूदा समय में इस मठ की 120 शाखाएं दक्षिण भारत के विबिंद राज्यों में हैं. तकरीबन 150 शिक्षा संस्थान भी इस मठ से जुड़े हैं, जिनमें स्कूल, मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज भी शामिल हैं.
Source : Yasir Mushtaq