दीपिका उर्फ पायल की हत्या के मामले में सुनवाई करते हुए सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने निठारी कांड के दोनों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है। निठारी कांड के दोषी सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर इस मामले में दोषी पाए गए हैं। बता दें कि दोषी कोली को पहले ही चार मामलों में कोर्ट मौत की सजा सुना चुकी है।
देश के सबसे ज्यादा जघन्य हत्याकांडों में शामिल निठारी कांड सबसे पहले 2005-2006 में सामने आया था। इस हत्याकांड के खुसाले के बाद पूरा देश सकते में था। आइए आपको बताते हैं इस केस में कब क्या हुआ।
- सबसे पहले 2005 में नोएडा के सेक्टर 31 के पास स्थित निठारी गांव से बच्चों के गायब होने की खबरें सामने आई थीं। हालांकि इस दौरान पुलिस कुछ खास इवेस्टीगेट नहीं कर पाई थी। इसके बाद जहां से बच्चे गायब हो रहे थे वहीं से पायल नाम की 20 साल की लड़की भी गायब हो गई।
और पढ़ें: निठारी कांड मामले में सुरेंद्र कोली और पंढेर को विशेष अदालत ने सुनाई सजा-ए-मौत
- 7 मई 2006 को पायल गायब हुई थी, इसके बाद पुलिस ने इस मामले में तेजी से जांच शुरू की। पायल के पिता ने भी पुलिस पर जांच के लिए दवाब बनाया। पायल के पिता ने ही पुलिस को बताया था कि उनकी बच्ची के गायब होने के पीछे पंढेर का हाथ है।
- पुलिस की जांच में पंढेर ने कुबूल किया कि वह पायल को जानता था। लेकिन उसके गायल होने में उसका कोई हाथ नहीं है। वहीं दूसरे पहलू में पता चला कि पायल का पिता उससे जिस्म फरोशी का धंधा करवाता था।
- इसके बाद पुलिस ने जांच में निठारी गांव के लोगों से बातचीत की। उन्होंने भी गायब होने वाले बच्चों के पीछे मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी डी-5 का से ताल्लुक होना बताया। लोगों ने पुलिस को यह भी बताया कि बच्चों के गायब होने के पीछे पंढेर के नौकर सुरिंदर कोली का हाथ हैं।
और पढ़ें: जेएनयू से पीएचडी कर रही जर्मन महिला को देख अश्लील हरकत करने वाला गिरफ्तार
- पुलिस ने कार्रवाई करते हुए दिसंबर 2006 में पायल के मोबाइल की मदद से कोली को गिरफ्तार किया। कोली इस दौरान अपने गांव अल्मोड़ा से पकड़ा गया था। पुलिस की पूछताछ में उसने बताया कि उसने ही पायल का कत्ल करके उसका शव पीछे के नाले में फेंक दिया था।
- पुलिस ने जब जांच की तो नाले से कई लाशें एक के बाद एक निकलती गईं। 29 दिसंबर को पुलिस ने पंढेर और कोली दोनों को गिरफ्तार कर लिया। 5 जनवरी 2007 में पुलिस ने इन दोनों का नार्को टेस्ट कराया। इसके बाद ही सीबीआई को जांच का जिम्मा दिया गया था।
- सीबीआई ने जब तफ्तीश शुरू की तो उसने उसी नाले को फिर से खंगाला जहां से कई शवों के हिस्से मिले थे। वहां सीबीआई को 30 और हड्डियां मिली। इसके बाद मामला सीबीआई के स्पेशल कोर्ट में पहुंचा। जहां पर 8 फरवरी को सुनवाई के दौरान दोनों को 14 दिन की न्यायिक सीबीआई की हिरासत में भेजा गया।
और पढ़ें: सुनंदा पुष्कर मामले में थरूर ने कहा- जांच एजेंसियों को पूरा सहयोग करूंगा
- 22 मई को सीबीआई ने गाजियाबाद की अदालत में मामले में पहला आरोप पत्र दाखिल किया, इसमें मोनिंदर पर हल्के लेकिन कोली पर गंभीर आरोप लगाए गए। जिसमें बलात्कार, अपहरण, हत्या आदि शामिल थे।
- इसके बाद सीबीआई कोर्ट ने पंढेर की भूमिका की फिर से जांच करे का आदेश दिया। क्योंकि सीबीआई पर पंढेर को बचाने के आरोप लग रहे थे। 13 दिसंबर को गाजियाबाद की सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने मोनिंदर के खिलाफ दो बच्चियों से बलात्कार और हत्या के मामले में आरोप तय किए। 12 फरवरी 2009 तक दोनों पर हत्या और बलात्कार के केस तय किए जा चुके थे।
- इसके बाद 13 फरवरी को 19 हत्याओं में से एक 14 साल की रिम्पा हालदार के साथ रेप और हत्या के मामले में पुलिस ने इन्हें दोषी करार दिया और स्पेशल कोर्ट ने इन दोनों को फांसी की सजा सुनाई थी।
और पढ़ें: पोता नहीं होने से नाराज हुई दादी, चिमटे से जलाया 4 साल की बच्ची का प्राइवेट पार्ट
- इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंढेर को मिली मौत की सजा को खत्म कर उसे बरी कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कोली को मिली मौत की सजा बरकरार रखी थी। इसके बाद एक दूसरे मामले में 12 मई को फिर से कोली को मौत की सजा सुनाई गई।
- इसके बाद 28 साल की बच्ची की हत्या और रेप केस में कोली को तीसरी बार मौत की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद 22 दिसंबर को एक अन्य मामले में कोली को चौथी बार मौत की सजा सुनाई गई।
- 22 जुलाई को कोली और पंढेर को पिंकी सरकार की हत्या का दोषी पाया गया था। 24 जुलाई को गाजियाबाद की स्पेशल कोर्ट ने दोनों को फांसी की सजा सुनाई।
Source : News Nation Bureau