26 जनवरी से पहले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, जो सेना की सभी जानकारी पाकिस्तान पहुंचाने के फिराक में था. सेना इंटेलिजेंस की मदद से उत्तर प्रदेश के बनारस से ISI एजेंट राशिद को पकड़ा गया था. सोमवार को एटीएस की पूछताछ में उसने बताया कि वो जोधपुर में एक दुकान खरीदने कोशिश में था. दुकान से लेकर उसके रहने-खान का सारा इंतजाम ISI को करना था.
पूछताछ में ये बात भी सामने आई कि उसे यह दुकान जोधपुर में उस स्थान पर लेनी थी, जहां बैठ कर वह सेना की गतिविधियों पर पूरी तरह नजर रख सके. सूत्रों की मानें तो पूछताछ में राशिद ने बताया कि जोधपुर में दुकान के लिए उसने कई स्थानीय लोगों से संपर्क भी किया है.
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प्राथमिक पूछताछ में एटीएस को जानकारी मिली है कि राशिद के पास दो इंडियन सिम हैं, इनमें एक सिम पर पाकिस्तान से वॉट्सऐप ग्रुप चल रहा है. सूत्रों के अनुसार, साल 2018 में जब राशिद पाकिस्तान गया तो आईएसआई ने उससे संपर्क किया. आईएसआई ने राशिद से दो भारतीय सिम खरीदने को कहा और उनका ओटीपी मांगा, ओटीपी लेकर पाकिस्तान में बैठे आईएसआई एजेंटों ने एक सिम पर वॉट्सऐप एक्टिवेट किया.
बताया जा रहा है कि भारतीय सिम कार्ड पर चल रहे इस वॉट्सऐप ग्रुप के जरिए पाकिस्तानी सेना और आईएसआई अपना एजेंडा चला रही है. इसी के जरिए तमाम भारतीय लोगों को जोड़कर भड़काऊ सामग्री भेजी जा रही है. वॉट्सऐप ग्रुप से जुड़े लोग उसे भारतीय नंबर समझते हैं, लेकिन उसका ऑपरेटर पाकिस्तान में बैठा है. एटीएस अधिकारी ने बताया कि इस वॉट्सऐप की डीपी पर लड़की की फोटो लगी है, जिससे आशंका है कि कहीं इसका प्रयोग हनी ट्रैप में तो नहीं हो रहा था.