नैनी सेंट्रल जेल प्रदेश की सबसे सुरक्षित जेल मानी जाती है. यहां पूर्व सांसद विधायक से लेकर खूंखार आतंकवादी हार्डकोर क्रिमिनल और अंडरवर्ल्ड से तालुकात रखने वाले कैदियों की लम्बी लिस्ट है. नैनी केंद्रीय कारागार उच्च सुरक्षा वाली एक ओपेन जेल है जहां आज भी कई गंभीर श्रेणी के अपराधियों को रखा जाता है. यह देश के सबसे बड़े सेंट्रल जेल में से एक है. 281 पद हैं नैनी सेंट्रल जेल में सिपाहियों के 14 पद स्वीकृत हैं डिप्टी जेलर के. 2060 बंदियों को नैनी जेल में रखने की क्षमता है.
नैनी सेंट्रल जेल में लगा है जैमर
केंद्रीय कारागार नैनी परिसर सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है. यहां की हाई सिक्योरिटी सेल में सीसीटीवी कैमरे से चौबीस घंटे निगरानी की जाती है. हाई सिक्योरिटी सेल के बाहर सुरक्षा कर्मी की तैनाती के साथ ही कंट्रोल रूम में भी सिपाही तैनात किए गए हैं.
अतीक को लाने पर सुरक्षा बढ़ाई गई
गुजरात से लाए गए अतीक अहमद और भाई अशरफ के लिए नैनी जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक तैयार किया. जेल के बाहर से बैरिकेडिंग कर दी गयी है. जेल के बाहर लगने वाली सारी दुकानों को हटा दिया गया. पुलिस का फ्लैगमार्च भी जेल परिसर में किया गया. नैनी जेल के आसपास भारी पुलिस फोर्स लगाई गई, डीसीपी मौके पर पहुंचे.
अतिरिक्त सतर्कता बरती
रिपोर्ट के मुताबिक, आईबी, SIO,LIU सहित दूसरी खुफिया एजेंसी के अधिकारी सतर्क हैं. पुलिस के साथ समन्वय बनाकर वह इनपुट जुटाने और अधिकारियों के साथ साझा करने में लगे थे. कहा जा रहा है कि प्रयागराज जिले में अतीक के वैन के प्रवेश करने पर अतिरिक्त सतर्कता बरती. खबर है कि अतीक के जानकार माने जाने वाले 17 पुलिसकर्मियों का ट्रांसफर किया गया.
जेल में कैमरे से सख्त निगरानी होगी
इसी जेल मे बंद अतीक के बेटे अली को यहां हाई सिक्योरिटी सेल से हटाकर एक नंबर सर्किल में भेजा गया. इसके अलावा यहां बंद अतीक के करीबियों को भी अन्य बैरकों में शिफ्ट किया गया है.
क्या है जेल का इतिहास
नैनी जेल कभी आजादी के दीवानों को कैद करके रखने के लिए मशहूर थी. क्रांतिकारियों और नैनी जेल का पुराना इतिहास रहा है. अंग्रेजों की बनाई इस जेल में स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान कितने ही राजनैतिक बंदी कैद रखे गए. एक बार तो महात्मा गांधी भी इस जेल में आ चुके हैं. हालांकि, उन्हें गिरफ्तार कर जेल में नहीं लाया गया था, बल्कि वह अपने किसी परिचित बंदी से मिलने के लिए नैनी जेल में आए थे. महात्मा गांधी 1 मार्च 1941 को यहां कैद विजय लक्ष्मी पंडित और अबुल कलाम आजाद जैसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों से मिलने पहुंचे थे.
यहां देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू (1930) को अंग्रेजों ने कैद किया. इसके बाद जवाहरलाल नेहरू भी 1930 और 1945 में कैद रहे. यहीं रहते हुए नेहरू जी ने अपनी 13 साल की बेटी इंदिरा गांधी के नाम खत लिखे थे. बाद में ये लेटर 'विश्व इतिहास की झलक' (Glimpses Of World History)नाम से एक किताब के रूप में छपे.
इंदिरा गांधी और उनके पति फिरोज गांधी भी 11 सितंबर 1942 से 13 मई 1943 तक यहां कैद रह चुके हैं. साल 1889 में ब्रिटिश इंडिया के इलाहाबाद शहर में यह जेल अंग्रेजों ने बनवाया था. जिस समय इस जेल का निर्माण किया गया था, उस समय यहां 3000 कैदी रखे जा सकते थे. इलाहाबाद चूंकि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का गढ़ हुआ करता था. ऐसे में बाद में इस जेल का इस्तेमाल राजनैतिक कैदियों को बंद रखने में किया जाने लगा.
Source : DIPANKAR NANDI